महिलाओं ने की वट सावित्री पूजा
औरंगाबाद। मंगलवार को वट सावित्री व्रत धार्मिक परंपराओं के साथ मनाया गया। शहर में जहां भी वटवृक्
औरंगाबाद। मंगलवार को वट सावित्री व्रत धार्मिक परंपराओं के साथ मनाया गया। शहर में जहां भी वटवृक्ष थे वहां महिलाओं की भीड़ पूजा करने को लेकर लगी रही। जितनी व्रती महिलाएं थी सभी ने एक या इससे अधिक पंखा ली हुई थी। पूजा कर रही महिलाओं के अनुसार इसी दिन सती सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से जीवन प्राप्त किया था। आचार्य पं. लालमोहन शास्त्री ने कहा कि वैवाहिक महिलाओं के लिए यह महत्वपूर्ण व्रत है। श्री शास्त्री ने कहा कि वट सावित्री वृक्ष दक्षिण भारत में तीन दिनों तक किया जाता है। ओबरा संवाददाता के अनुसार प्रखंड मुख्यालय के विभिन्न स्थानों पर मंगलवार को महिलाओं ने वटवृक्ष की पूजा अर्चना कर पति के दीर्घायु होने की कामना की। वटवृक्ष की पूजा करने के लिए सुबह से दोपहर तक महिलाओं की भीड़ लगी रही। पं. कमल किशोर पांडेय ने बताया कि वटवृक्ष सावित्री पूजन में स्त्रियां अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए और सुहाग की अमर के लिए वटवृक्ष में सूत लपेटकर 16 प्रकार की पूजन कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करते हैं। बताया कि इस पूजा का प्रचलन तब से हुआ जब सावित्री सत्यवान की कथा आई। सावित्री ने अपने सत्य के बल पर यमराज से लड़कर अपने पति की प्राण को लौटा ली थी। प्रखंड के ऊब, भरुब, बेल, चपरी, देवकली, अमिलौना, मेहंदा में महिलाओं ने इस व्रत को किया। मदनपुर संवाददाता के अनुसार वटसावित्री पूजा को लेकर प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाके में उत्सव सा माहौल रहा। पति की दीर्घायु होने की कामना को लेकर महिलाओं की वट सावित्री की पूजा की। सुहागन महिलाओं ने बरगद के वृक्ष के नीचे वट सावित्री की पूजा की। पूजा के बाद महिलाओं ने पति के चरण स्पर्श से आर्शीवाद लिया।