बालू बंद, काम बंद, व्यवसाय भी बंद
औरंगाबाद । शहर से लेकर गाव तक काम बंद है। रियल इस्टेट हो या फिर विकास की योजनाएं, स
औरंगाबाद । शहर से लेकर गाव तक काम बंद है। रियल इस्टेट हो या फिर विकास की योजनाएं, सब ठप है। नतीजा विकास के साथ व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है। बालू के कारण इससे जुड़े तमाम तरह की सामग्री की बिक्री बंद है तो मजदूरों के पास काम नहीं है। काम बंद होने से मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के बाद यह स्थिति बनी है। राज्य सरकार के स्टेट इंवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथारिटी (सिया) 25 हेक्टेयर से कम रकबा वाले बालू खदानों से उठाव की स्वीकृति दे सकती है। इसकी संख्या 51 है किंतु इसमें एक भी खदान सोनतटीय क्षेत्र का नहीं है। बिहार में सोन रोहतास जिला में प्रवेश करता है और औरंगाबाद, अरवल, आरा होते पटना तक जाता है। इस लंबी यात्रा में उसके पेट में कोई ऐसा खदान नहीं है जो 25 हेक्टेयर के तय रकबा से कम हो। नतीजा अब भी इसके खदानों से बालू की निकासी मुश्किल जान पड़ती है क्योंकि इसके लिए एनजीटी से स्वीकृति आवश्यक है। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार सोन के बालू खदानों से निकासी में अभी दो महीने तक का वक्त लग सकता है। इससे विकास के सारे कार्य ठप हैं। निर्माण क्षेत्र में सन्नाटा है।
निर्माणाधीन सोन पुल पर असर
दाउदनगर (औरंगाबाद) : यहा दाउदनगर-नासरीगंज के बीच बन रहे सोन पुल की गति भी बालू की कमी से प्रभावित हो सकती है। निर्मात्री एजेंसी एचसीसी के प्रशासकीय प्रबंधक आशुतोष पांडेय ने बताया कि अभी बालू स्टाक में है, किंतु यदि दो-तीन महीने तक बालू की निकासी बंद रहेगी तो समस्या होगी। बिना बालू का कोई काम नहीं हो सकता। वैसे अभी काम पर इसके नकारात्मक असर के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
कैसे होगा मनरेगा का लक्ष्य हासिल?
दाउदनगर (औरंगाबाद) : मनरेगा को 31 मार्च तक अपने लक्ष्य हासिल करने को कहा गया है। जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है। सवाल उठता है कि जब बालू ही नहीं होगा तो काम कैसे संभव हो सकेगा। मनरेगा में सिर्फ करहा, पोखर उड़ाही का ही ऐसा कार्य है जिसमें बालू की आवश्यकता नहीं पड़ती है। अन्यथा सारे कार्य में बालू चाहिए।
गांवों में बंद है काम
दाउदनगर (औरंगाबाद) : महावर पंचायत के मुखिया हरि प्रसाद सिंह ने कहा कि गाव में कोई काम नहीं हो पा रहा है। बालू मिले तो विकास का कार्य हो। बीआरजीएफ, 13वीं एवं 14वीं वित्त आयोग की राशि से विकास कार्य होना है। 31 मार्च तक सब काम कर देना है, जब बालू ही नहीं मिलेगा तो कैसे काम होगा? करहा, पोखरा उडाही के अलावा कोई काम नहीं हो सकता बिना बालू के।
चूड़ी की दुकान करें क्या?
दाउदनगर (औरंगाबाद) : भखरुआ में घर निर्माण से जुड़े सामग्री के विक्रेता संजय सिंह कहते हैं कि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो हमारे जैसे दुकानदारों के लिए चूड़ी की दुकान खोलने की मजबूरी हो जाएगी। करवंदिया से गिट्टी नहीं आ रही है। ट्रक पकड़ लिए जा रहे हैं। सवाल है कि जब बालू और गिट्टी ही नहीं मिलेगा तो अन्य सामग्री की बिक्री भी कैसे होगी?