यज्ञ से होता है मंगलकारी प्रवृत्ति का विकास : यज्ञाचार्य
प्रखंड के सूही के दुधमी में आयोजित देवी प्राण-प्रतिष्ठा सह शतचंडी महायज्ञ में किए जा रहे प्रवचन का भक्त लाभ उठा रहे हैं। लोग बहुत श्रद्धा भाव से प्रवचन का अमृत पान कर रहे हैं।
औरंगाबाद। प्रखंड के सूही के दुधमी में आयोजित देवी प्राण-प्रतिष्ठा सह शतचंडी महायज्ञ में किए जा रहे प्रवचन का भक्त लाभ उठा रहे हैं। लोग बहुत श्रद्धा भाव से प्रवचन का अमृत पान कर रहे हैं। गुरुवार को प्रवचन की प्रस्तुति देती साध्वी भारत कोकिला कुसुम लता ने शिव पार्वती विवाह के रोचक प्रसंग की कथा कही। कहा कि शिव एवं पार्वती के विवाह के लिए देवी देवता सहित पूरा ब्रह्मांड उत्सुक था। हिमाचल पुत्री पार्वती ने घनघोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया। सती दाह से भगवान शिव संसार से वैराग्य ले लिए थे। देवताओं को बड़ी चिता हुई कि भगवान शिव विवाह के लिए कैसे राजी होंगे। उन्होंने कामदेव को तैयार किया कि वह भगवान शिव में काम भावना जागृत करें परंतु भगवान शिव ने कामदेव को अपनी तीसरी नेत्र के ज्वाला से भस्म कर दिया। अंत में पार्वती की ही कठिन तपस्या से भगवान प्रसन्न हुए। भगवान शिव की बरात भी अछ्वुत थी। उनके बराती भूत, बैताल एवं पिशाच सहित थे। खुद शिव ने भी भस्म धारण कर औघर के रूप में अलौकिक दूल्हा बने थे। बारात एवं दूल्हे का स्वरूप देखकर माता सुनैना चितित हो गई। अंत में पार्वती के प्रार्थना पर भगवान शिव ने कर्पूर के समान श्वेत और सुंदर एवं मंगलकारी रूप धारण कर सबको प्रसन्न किया। शिव और पार्वती के विवाह की कथा सुनकर श्रद्धालु आनंदित हुए। महायज्ञ के आचार्य श्याम सुंदर पांडेय ने बताया कि धरती पर सात्विक विचार प्रसारित करने के लिए अधर्म, अनाचार और विकार दूर करने के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया है। इससे मनुष्य में नैतिक उन्नयन एवं मानव समुदाय में मंगलकारी प्रवृति का विकास होता है। डा. रंजन पांडेय, बिपिन बिहारी पांडेय, धीरज पांडेय, वेदप्रकाश पांडेय, मुकेश पांडेय, विपुल शास्त्री, चंचल मिश्रा, राकेश शास्त्री, गणेश शास्त्री, राजीव पांडेय एवं अवनीश पांडेय उपस्थित रहे।