लक्ष्य के करीब है प्रधानमंत्री आवास योजना
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ गरीबों को मिल रहा है। 1 जून 2015 को इस योजना की शुरुआत की
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ गरीबों को मिल रहा है। 1 जून 2015 को इस योजना की शुरुआत की गई थी। जिनके पास आवास नहीं थे उन्हें इस योजना का लाभ देना था। सरकार की सोच थी कि सभी गरीबों को आशियाना मिले। औरंगाबाद जिले में 20,207 का लक्ष्य रखा गया था। अब तक 14,514 गरीबों को आवास योजना का लाभ मिल चुका है। जो बच गए हैं उनके आवास का निर्माण हो रहा है। अधिकारी दिन रात आवास योजना का लक्ष्य पूरा करने में लगे हैं। वित्तीय वर्ष 2016-2017 एवं 2017-2018 में 20,207 गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाना था। लाभुकों से आवास के लिए आवेदन लिए गए और 14,514 को स्वीकृति दी गई। यानि कि लक्ष्य का 65.36 प्रतिशत गरीबों को इसका लाभ मिल सका। वर्ष 2016-2017 में 13,974 गरीबों को आवास योजना देने का लक्ष्य रखा गया था परंतु मात्र 10,755 को लाभ मिला। वर्ष 2017-2018 में 8,233 लोगों को योजना का लाभ दिया जाना था परंतु अब तक मात्र 3,759 को लाभ मिल सका। डीएम राहुल रंजन महिवाल आवास योजना को लेकर हमेशा गंभीर रहते हैं। अधिकारियों की बैठक में आवास योजना का टास्क पूरा करने का निर्देश देते हैं। अब तक कई आवास सहायक का वेतन बंद हो चुका है। कई लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है। प्रखंड का नाम , लक्ष्य, प्राप्ति, प्रतिशत
औरंगाबाद, 1716, 1282, 74.71
बारुण, 1344, 922, 68.60
दाउदनगर, 896, 696, 77.68
देव , 2278, 1320, 57.95
गोह, 1887, 1050 , 55.64
हसपुरा, 1557, 1128, 72.45
कुटुंबा, 1933, 1507, 77.96
मदनपुर, 3170, 1921, 60.60
नवीनगर, 2615, 1504, 57.51
ओबरा, 1877, 1169, 62.28
रफीगंज, 2934, 2015, 68.68 क्या कहते हैं ग्रामीण
देव के नोनिया टोला निवासी अमर भुईयां, विष्णुदेव भुईया, कलिका राम ने बताया कि हमें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। हालात यह है कि झोपड़ी बनाकर रहते हैं। आवास योजना के लिए कई बार प्रखंड कार्यालय का दौड़ लगाया परंतु आवास नहीं मिला। 25 फीसदी पूरा हो सका आवास
दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर-बारुण रोड स्थित पीएचसी के पास महादलित टोला में महादलित समुदाय की आबादी निवास करती है, जिनमें से अधिकांश का घर मिट्टी, फूस व प्लास्टिक के छावनी से बना देखा जा सकता है। वार्ड संख्या 24 के पचकठवा मोहल्ला, वार्ड संख्या 26 के गौ घाट मोहल्ला, वार्ड संख्या छह के नील कोठी मुहल्ला, वार्ड संख्या तीन के डफलटोला एवं अंबेडकर नगर समेत शहर के कई इलाकों में महादलितों की दयनीय स्थिति का अंदाजा उनके कच्चा मकान को देखकर लगाया जा सकता है। यह किसी एक वार्ड की स्थिति नहीं है बल्कि शहर के सभी 27 वार्डों की स्थिति है। जब सरकार द्वारा शहरी गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराने के लिए सबके लिए आवास योजना (प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत) लाया गया तो गरीबों को लगा कि उनका घर भी पक्के मकान में तब्दील हो जाएगा। शहर में इस योजना की शुरुआत हुए करीब चार वर्ष बीत गए लेकिन उपलब्धि 25 फीसदी से कम दिखती है। दो वित्तीय वर्ष से आवंटन नहीं
आवास बनाने के लिए दो वित्तीय वर्ष से पैसा नहीं मिल रहा है। वित्तीय वर्ष 2017-2018 एवं 2018-2019 में दाउदनगर नगर परिषद को आवास के मामले में किसी प्रकार का कोई आवंटन नहीं मिला। अब इसके पीछे कारण चाहे जो भी रहा। वर्ष 2017 में नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद चुनाव नहीं होने के कारण एसडीओ प्रशासक के पद पर थे। जून 2018 में नए बोर्ड का गठन हुआ है। अब सरकार द्वारा आवास निर्माण की जिम्मेदारी एक एजेंसी को दे दी गई है जिसके प्रतिनिधियों के साथ वार्ड पार्षदों की एक बैठक भी हुई है। बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में वार्डवार आमसभा हो रही हैं। आवेदन लिए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है उसके बाद आवेदनों की जांच होगी और तब वांछित कागजात जमा करने के बाद ही लाभुकों को आवास योजना का लाभ मिल पाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि पूर्व के दो वित्तीय वर्ष में जिन चयनित लाभुकों का चयन अयोग्य पाते हुए रद्द किया गया, क्या उनका चयन आमसभा के माध्यम से नहीं हुआ था।
एलपीसी बनाना है बड़ी समस्या
लाभुकों का चयन आवास योजना के लिए हो जाता है तो उन्हें एलपीसी बनाने में समस्या झेलनी पड़ रही है। नगर परिषद दाउदनगर का हाल सर्वे वर्ष 2012 में 13 वार्डों पर हुआ था, जिसमें पुराना वार्ड संख्या पांच और 13 का सर्वे अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है। शहर के सभी वार्डों का हाल सर्वे को नॉट फाइनल माना जा रहा है। दाउदनगर शहर का कुल क्षेत्रफल 1650 वर्ग किलोमीटर है। 1912 के सर्वे के अनुसार दाउदनगर के बेलगाम जमीन के खाता नंबर 595 को चार प्लॉटों में बांटा गया है। सभी आवासीय परती भूमि मालिक गैरमजरुआ 1912 के सर्वे में दर्ज हैं। अब तक उन्हीं चयनित लाभुकों को आवास योजना का लाभ मिला है जिन्होंने स्वयं पहल करते हुए अपनी जमीन का लगान निर्धारण कराया है। अन्यथा काफी संख्या में ऐसे भी गृहस्वामी हैं जो जानकारी के अभाव में या अन्य कठिनाइयों के कारण अभी तक अपने लगान का निर्धारण नहीं करा पाए। हालांकि इससे अलग शहर में कुछ छोटे-छोटे अन्य प्लॉट या खेती और जमीन हैं, जिसका खतियान एवं रैयती करण उसके भू स्वामियों के पास पूर्व से ही उपलब्ध है, जिसका डिमांड अंचल कार्यालय से कट रहा है। कागजात बनाने में छूटेंगे पसीने
आमसभा के माध्यम से आवास योजना के लिए आवेदन तो लिए जा रहे हैं, लेकिन एक बार पुन: चयन होने के बाद वांछित कागजात बनाने में गरीबों का पसीना छूट रहा है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए चयनित लाभार्थियों को भू-स्वामित्व संबंधित अभिलेख की छाया प्रति देना आवश्यक है। अंचल रसीद (खतियान, एलपीसी, वंशावली, डीड) शामिल हैं। अधिकांश शहरवासियों के पास नगर परिषद द्वारा काटा गया होल्डिग रसीद ही उनके भू- स्वामित्व का प्रमाण अभी तक माना जाता रहा है। ऐसी परिस्थिति में अंचल कार्यालय से अंचल रसीद कटवाना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। चूंकि, अंचल कार्यालय के रजिस्टर टू में नाम दर्ज होने के बाद ही उनका अंचल कार्यालय से रसीद कर सकता है। अब देखना यह है कि तकनीकी त्रुटियों को दूर करने के लिए क्या पहल की जाती है। वर्ष 2022 तक सभी गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध करा देना है। जहां तक दो वित्तीय वर्ष में आवंटन नहीं मिलने की बात है तो इसके संबंध में चर्चा के बाद जवाबदेही तय की जाएगी। किन कारणों से दो वित्तीय वर्ष में नप दाउदनगर को आवास का लक्ष्य सरकार द्वारा क्यों नहीं दिया गया था।
सोनी देवी, मुख्य पार्षद, दाउदनगर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो लोग पैसा लेकर आवास नहीं बना रहे हैं उनके खिलाफ नीलाम पत्र दायर कर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। आवास बनाने के लिए जो पैसा दिया गया न बनाने पर वसूली की जाएगी। योजना में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
घनश्याम मीणा, डीडीसी, औरंगाबाद।