स्ट्रॉबेरी की खेती देखने गांव पहुंचे अधिकारी
कुटुंबा के चिल्हकी बिगहा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी है। प्रगतिशील किसान ब्रजकिशोर मेहता ने तीन वर्ष पूर्व जो स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की वह अब जिले व बिहार के कई स्थानों पर लहलहाता दिख रहा है। ब्रजकिशोर से प्रेरणा लेकर स्थानीय किसानों ने भारी पैमाने पर इसकी खेती शुरू की है। अंबा धनीबार से लेकर समीपवर्ती झारखंड के कई गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती कर किसान खुश हैं। हरियाणा से प्रेरणा लेकर शुरू की गई उक्त खेती के लिए किसान महाराष्ट्र से पौधे मंगाते आए हैं। अक्टूबर माह से ही इसे लगाने का कार्य शुरू था जो अब खेतों में दिखने लगा है।
कुटुंबा के चिल्हकी बिगहा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी है। प्रगतिशील किसान ब्रजकिशोर मेहता ने तीन वर्ष पूर्व जो स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की, वह अब जिले व बिहार के कई स्थानों पर लहलहाता दिख रहा है। ब्रजकिशोर से प्रेरणा लेकर स्थानीय किसानों ने भारी पैमाने पर इसकी खेती शुरू की है। अंबा, धनीबार से लेकर समीपवर्ती झारखंड के कई गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती कर किसान खुश हैं। हरियाणा से प्रेरणा लेकर शुरू की गई उक्त खेती के लिए किसान महाराष्ट्र से पौधे मंगाते आए हैं। अक्टूबर माह से ही इसे लगाने का कार्य शुरू था, जो अब खेतों में दिखने लगा है। जिले के पूर्व एसपी विवेकराज व उद्यान निदेशक के साथ कृषि विभाग के अधिकारी पहुंचे फसल देखने मंगलवार को चिल्हकी बिगहा गांव में जिले के पूर्व एसपी विवेकराज सिंह, उद्यान निदेशक नंदकिशोर, डीएचओ ज्ञानचंद, कुटुंबा, बारुण, हसपुरा व गोह के बीईओ एवं जहानाबाद की आत्मा की टीम के साथ आत्मा उपस्थित परियोजना निदेशक राकेश कुमार स्ट्रॉबेरी खेत का दौरा किया। दौरान अधिकारियों ने किसान की लगन व मेहनत की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती कर आपने कृषि क्रांति को मजबूती दिया है। स्ट्रॉबेरी के लिए खेत की तैयारी व अन्य उपकरण के संबंध में जानकारी लेते हुए उन्होंने पौधे के संबंध में जानकारी ली। किसान द्वारा महाराष्ट्र से पौधे लाए जाने और उस पर आने वाले खर्च को देखते हुए बिहार में हीं स्ट्रॉबेरी की नर्सरी विकसित करने की बात कही। कहा कि इसके लिए किसान को हर संभव सरकारी मदद मुहैया कराया जाएगा। एसपी विवेकराज सिंह ने कहा कि स्ट्रॉबेरी फल की मांग देश विदेश तक है। औषधीय गुणों से युक्त उक्त फल से दवा, सौंदर्य प्रसाधन से लेकर कई महत्वपूर्ण वस्तुएं बनाए जाते हैं। बिहार में इसकी खेती से राज्य के किसान खुशहाल बन सकते हैं। अधिकारियों ने इसके बाजार, पैकिग व सिचाई सहित के बारे में भी विस्तृत जानकारी ली। किसान ब्रजकिशोर ने बताया कि सिचाई जमीन के अंदर पाइप के जरिए की जाती है जिसके माध्यम से पौधे तक दवाएं भी पहुंचाई जाती है। उद्यान निदेशक ने कहा कि स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान को कृषि विभाग से मिलने वाली हर सहायता दी जाएगी। साथ हीं राज्य कृषि विभाग को सूचना देकर उक्त खेती को बढ़ावा देने की भी मांग की जाएगी। सभी अधिकारी अन्य किसान द्वारा की गई खेती को भी निकट से देखा। अगले महीने से स्ट्रॉबेरी के पौधे में फल लगना शुरू होगा। बता दें कि फल की खरीद के लिए कोलकाता के व्यापारी तीन चार महीने तक अंबा में ही डेरा डालते हैं। 200 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से फल खरीद कर कोलकाता के बाजार में बेचा जाता है। जहानाबाद से आई टीम ने जिले में उक्त खेती की शुरूआत कराने का संकेत दिया है। चिल्हकी बिगहा में अब तक कई कृषि विश्वविद्यालय की टीम, कृषि विभाग के आला अफसर एवं समीपवर्ती राज्य से उक्त खेती को देखने भारी संख्या में लोग आ चुके हैं। यहां की खेती देख कृषि विश्वविद्यालय पूसा समेत अन्य स्थान पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की गई है।