संस्कृत को पाठ्यक्रम में अनिवार्य करने की जरूरत
जिले के महान समाजसेवी रामधन संस्कृत प्राथमिक सह उच्च विद्यालय के संस्थापक स्व. राम प्रसाद वैद्य की पुण्यतिथि मनाई गई।
ओबरा (औरंगाबाद)। जिले के महान समाजसेवी रामधन संस्कृत प्राथमिक सह उच्च विद्यालय के संस्थापक स्व. रामप्रसाद वैद्य की पुण्यतिथि मनाई गई। बुधवार को अधिवक्ता संघ भवन में विद्यालय के अध्यक्ष सिद्धेश्वर विद्यार्थी की अध्यक्षता में 'संस्कृत की प्रासंगिकता' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में यादव कॉलेज के पूर्व प्राचार्य वैद्यनाथ सिंह, सिन्हा कॉलेज के प्राध्यापक प्रो. संजीव रंजन व राष्ट्रीय किसान कॉलेज पौथू के प्राचार्य राजेंद्र बाबू, अधिवक्ता अनी सिंह मौजूद थे। स्व. रामप्रसाद वैद्य के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत देवों की भाषा रही है। सभी भाषाओं की जननी है। भारतीय सभ्यता व संस्कृति की जानकारी संस्कृत से ही मिल सकती है। आज लोग संस्कृत से दूर होते जा रहे हैं। स्कूली पाठ्यक्रम में भी इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है। आज की पीढि़यां भारतीय सभ्यता व संस्कृति से दूर हो गई है। यही कारण है कि सभी प्रकार के अपराध में दिनों दिन वृद्धि होते जा रहा है। बिहार व केंद्र सरकार को संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर ध्यान देना चाहिए। पाठ्यक्रम में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए। संगोष्ठी में उपस्थित सभी लोगों ने संकल्प लिया कि हमलोग पहले अपने-अपने बच्चों को संस्कृत की जानकारी घर पर देंगें। बाकी लोगों के लिए प्रचार प्रसार करेंगे, ताकि इस भाषा का प्रचलन बढ़ाया जा सके। इस मौके पर रामजी सिंह, विनोद मालाकार अधिवक्ता, सहदेव मंडल अधिवक्ता, कविता विद्यार्थी, धनंजय सिंह, रामाश्रय पांडेय, यशवंत सिंह सहित उपस्थित रहे। आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन कार्यकारिणी सदस्य विनोद मालाकार ने किया।