शौर्य दिवस के रूप में मनी पृथ्वीराज चौहान की पुण्यतिथि
कहा कि युद्ध केवल शक्ति से नहीं जीते जाते बल्कि शक्ति के साथ ही राजनीति कुटनीति तथा रणनीति की भूमिका होनी चाहिए। पृथ्वीराज चौहान में अपरिमेय शक्ति होने के बावजूद कूटनीति का अभाव ही उनके पतन का कारण बना। महाराणा प्रताप सेवा संस्थान के सचिव अनिल कुमार सिंह एवं प्रो. डॉ. संजीव रंजन ने भी अपनी बात रखी। मौके पर उपस्थित लोगों में सरपंच संघ के राज्य संरक्षक रवींद्र सिंह चुलचुल सिंह सिद्धेश्वर सिंह रामानुज पाण्डे
जनेश्वर विकास केंद्र व पृथ्वीराज चौहान शौर्य दिवस समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को आइएमए हॉल में पृथ्वीराज चौहान की पुण्यतिथि शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया। दो सत्रों में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सरेंद्र प्रसाद सिंह था संचालन प्रो. डॉ. संजीव रंजन ने किया। जबकि उद्बोधन सत्र का संचालन कार्यक्रम के संयोजक सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने किया। इससे पहले आगत अतिथियों ने सर्वप्रथम पृथ्वीराज चौहान के तैल्य चित्र पर पुष्प अर्पित किया। प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. ज्ञानेश्वर सिंह ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि जो कौम इतिहास से सबक नहीं लेती। उसे समय माफ नहीं करता है। मौके पर मौजूद पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रामानुज पाण्डेय ने इतिहास के उन अनछुए पहलुओं की चर्चा की, जो आज अबूझ पहेली बनी हुई है। वहीं डॉ. रामाधार सिंह व प्रो. शिवपूजन सिंह ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि पृथ्वीराज एक अप्रितम योद्धा के साथ-साथ एक राष्ट्रनायक के रूप में भी जाने जाते है। वहीं मौके पर मौजूद डॉ. सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह तथा शिक्षाविद शिव नारायण सिंह ने कहा कि युद्ध केवल शक्ति से नहीं जीते जाते, बल्कि शक्ति के साथ ही राजनीति, कुटनीति तथा रणनीति की भूमिका होनी चाहिए। पृथ्वीराज चौहान में अपरिमेय शक्ति होने के बावजूद कूटनीति का अभाव ही उनके पतन का कारण बना। महाराणा प्रताप सेवा संस्थान के सचिव अनिल कुमार सिंह एवं प्रो. डॉ. संजीव रंजन ने भी अपनी बात रखी। मौके पर उपस्थित लोगों में सरपंच संघ के राज्य संरक्षक रवींद्र सिंह, चुलचुल सिंह, सिद्धेश्वर सिंह, रामानुज पाण्डेय समेत कर्मा के गोपाल बाबू ने पृथ्वीराज चौहान की आदमकद प्रतिमा बनाने में सराहनीय निभाने की बात कही। इसके अलावे जिन लोगों ने सहभागिता निभाई उसमें संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुरपत सिंह, रामभजन सिंह, विभांजली, समशेर बहादुर सिंह, अशोक, रामकिशोर सिंह, स्वर्णजीत सिंह, विनोद बिहारी सिंह इत्यादि लोग शामिल थे। इस दौरान शौर्य दिवस के मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।