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पहले चुनाव में गुलामी से निकलने की थी उत्साह

लोकसभा चुनाव को लेकर न सिर्फ युवा वोटर उत्साहित हैं बल्कि बुजुर्ग वोटरों में भी उत्साह है। देव प्रखंड के एरकी गांव के सबसे बुजुर्ग मतदाता 96 वर्षीय दुधेश्वर तिवारी अपने जीवन में दिए पहले वोट से लेकर

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 06:19 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 06:19 PM (IST)
पहले चुनाव में गुलामी से निकलने की थी उत्साह
पहले चुनाव में गुलामी से निकलने की थी उत्साह

औरंगाबाद। लोकसभा चुनाव को लेकर न सिर्फ युवा वोटर उत्साहित हैं बल्कि बुजुर्ग वोटरों में भी उत्साह है। देव प्रखंड के एरकी गांव के सबसे बुजुर्ग मतदाता 96 वर्षीय दुधेश्वर तिवारी अपने जीवन में दिए पहले वोट से लेकर अन्य चुनावों की स्मृतियों को साझा किया। कहा कि पहले लोकसभा चुनाव में पहला वोट पड़ने के दौरान वे युवा वोटर थे। वर्ष 1952 में देश में हो रहे पहले चुनाव में अंग्रेजों की गुलामी से निकलने की उत्साह थी। बुजुर्ग ने कहा कि तब और आज के चुनाव में अंतर हो गया है। वे राजनीति में सादगी से लेकर अपराधीकरण और वोटरों का लुभाने के लिए धन और बल का प्रयोग को देख चुके हैं। कहा कि जब प्रत्याशी पैदल और उनके समर्थक साइकिल से वोट मांगने आते थे उस समय के चुनाव और आज प्रत्याशियों से लेकर उनके कार्यकर्ताओं द्वारा महंगे वाहनों से वोट मांगने की चुनाव को देख रहे हैं। बताया कि गया से हटकर औरंगाबाद लोकसभा संसदीय क्षेत्र होने के बाद अपने गांव के मतदान केंद्र पर बैलेट से होने वाला चुनाव में बूथ लूटे जाने की घटना को देख चुके हैं। कहा कि जब प्रत्याशी के गुंडे वोट लूट लिए थे तब गांव के अधिकांश वोटर अपना वोट देने से वंचित रह गए थे। आज वे ईवीएम और वीवीपैट मशीन से भी वोट होते देख रहे हैं। कहा कि तब और आज के चुनाव में अंतर है। पहले का चुनाव सादगी से होती थी आज पैसे के बाल पर होता है। प्रत्याशी पानी की तरह पैसे को बहाते हैं। औरंगाबाद के प्रियव्रत बाबू और रमेश बाबू के चुनाव की स्मृति बताते हुए कहा कि जब दरवाजे पर वोट मांगने आते थे तो पहले पानी मांगते थे। फिर समाजसेवा की बात करते थे और वोट मांगते थे। कहा कि जब राज्य में शराबबंदी नहीं थी तो दल के नेताओं के द्वारा वोटरों को शराब पीला और नोट देकर वोट लेते भी देखा है। पैसा पर बिकने वाले वोटर गांधी छाप नोट की मांग करते थे। कहा कि आज भी वोटर नोट पर वोट देते हैं पर लुक छिपके, सार्वजनिक तौर पर नहीं।

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