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सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल प्रतिबंध मामले में जागरूकता का अभाव

सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल को लेकर जागरूकता का घोर अभाव है। शुक्रवार से पूर्णत प्रतिबंध के बावजूद बाजार में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं दिखी। प्रशासनिक स्तर पर भी कोई तैयारी नहीं है। कहीं कोई प्रचार भी नहीं दिखा। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार के कुछ बैनर अनुमंडल कार्यालय में लगे दिखे। नगर परिषद के द्वारा कहीं कोई प्रचार सामग्री नहीं लगाई गई है। बाजार में पूरी तरह इसको लेकर सन्नाटा छाया रहा। स्थिति यह है कि खुद दुकानदार भ्रमित हैं कि उन्हें किस तरह का प्लास्टिक प्रयोग नहीं करना है और किस तरह का करना है। सिर्फ और सिर्फ पालीथिन पर ही सारा फोकस है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 09:28 PM (IST)
सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल प्रतिबंध मामले में जागरूकता का अभाव
सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल प्रतिबंध मामले में जागरूकता का अभाव

दाउदनगर (औरंगाबाद) । सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल को लेकर जागरूकता का घोर अभाव है। शुक्रवार से पूर्णत: प्रतिबंध के बावजूद बाजार में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं दिखी। प्रशासनिक स्तर पर भी कोई तैयारी नहीं है। कहीं कोई प्रचार भी नहीं दिखा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार के कुछ बैनर अनुमंडल कार्यालय में लगे दिखे। नगर परिषद के द्वारा कहीं कोई प्रचार सामग्री नहीं लगाई गई है। बाजार में पूरी तरह इसको लेकर सन्नाटा छाया रहा। स्थिति यह है कि खुद दुकानदार भ्रमित हैं कि उन्हें किस तरह का प्लास्टिक प्रयोग नहीं करना है और किस तरह का करना है। सिर्फ और सिर्फ पालीथिन पर ही सारा फोकस है।

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सब्जी विक्रेता समेत कई दुकानों पर पालीथिन की जगह झीने कपड़े वाला कैरी बैग दिखा। दूसरी तरफ थर्मोकोल के थाली प्लेट बेचने की विशेष दुकानें शुक्रवार को बंद रही। चर्चा के अनुसार कार्रवाई के डर से वे भाग गए। सबसे बड़ी बात है कि दुकानदार जानते ही नहीं कि नियम क्या है और प्रतिबंधित सामग्री की पहचान क्या है। ऐसे में नियम के संदर्भ में प्रचार जरूरी हो जाता है। जब तक प्रचार नहीं होगा, लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल पर प्रतिबंध शायद संभव नहीं है। नगर परिषद के सिटी मैनेजर मोहम्मद शफी ने बताया कि शुक्रवार को इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अभी प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। संभव है शनिवार से इस दिशा में कोई कार्रवाई शुरू हो। प्रतिबंधित सामग्री की सूची प्लास्टिक की छड़ युक्त ईयर बड्स, गुब्बारे, आइसक्रिम स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ें, पालीस्टायरीन (सजावट को थर्मोकोल),प्लास्टिक की प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण कार्ड व सिगरेट के पैकेट की रैपिग या पैकिग फिल्म, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर आदि को प्रतिबंधित किया गया है। जागरूकता के साथ दंडात्मक कार्रवाई की व्यवस्था : संजय नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय बताते हैं कि जो नई व्यवस्था लागू की गई है उसे अमल कराना है। जागरूकता के लिए बैनर बनाया जा रहा है। लोगों को पालीथिन और थर्मोकोल की सामग्री इस्तेमाल न करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसके बाद दंडात्मक कार्रवाई होगी। पकड़े जाने पर जुर्माना वसूला जाएगा। इसके बाद छापेमारी की कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि नगर परिषद पालीथिन और थर्मोकोल इस्तेमाल करने वालों से दंड वसूली के लिए रकम तय करेगा। फिलहाल 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक का दंड लगाने का प्रावधान है। लोगों को चाहिए कि वे इसका इस्तेमाल न करें।

दुकानदारों को मालूम नहीं कौन सा प्लास्टिक है प्रतिबंधित : सुनील कपड़ा व्यवसायी सुनील कुमार कहते हैं कि अधिकतर दुकानदारों को यह मालूम नहीं है कि सिगल यूज प्लास्टिक है क्या। सिगल यूज प्लास्टिक का सीधा अर्थ यूज एंड थ्रो माना जा रहा है तो सवाल यह है कि जिन प्लास्टिक बैग में बाहर से सामान पैक कर आ रहे हैं तो क्या वे सिगल यूज प्लास्टिक नहीं माने जाएंगे। यह और बात है कि वे दो तीन दिन बाद कचरे में फेंके जाते हैं। सब तरह के प्लास्टिक पर प्रतिबंध होना चाहिए। दुकानदारों को ही तय करना मुश्किल हो रहा है तो ग्राहकों को कैसे पता चलेगा। फिलहाल झोला लेकर आने की आदत लगाने में वक्त लगेगा। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इसके लिए जागरूकता लाने का काम करें।

मंहगा पड़ रहा है पालीथिन का विकल्प चूड़ी बाजार में सब्जी विक्रेता रंजीत कुमार कहते हैं कि सरकार को पालीथिन बंद करने के बाद विकल्प की व्यवस्था करनी चाहिए। सस्ता कपड़ा या जुट की ऐसी सामग्री निकाले जो हम जैसे छोटे दुकानदार ग्राहकों के लिए इस्तेमाल कर सकें। अभी 25 पैसे का एक पालीथिन पड़ता था। अब कपड़ा या कागज का झोला सब्जी में कैसे यूज किया जा सकता है। यह महंगा पड़ रहा है। ग्राहकों को हर हाल में झोला लेकर दुकान आना होगा।


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