तालाब के जमीन को कर दिया दान
औरंगाबाद। पानी की आवश्यकता हर जीव को है पर जीव पानी को बचाने अथवा इसके सार्थक तत्व को जमा करने म
औरंगाबाद। पानी की आवश्यकता हर जीव को है पर जीव पानी को बचाने अथवा इसके सार्थक तत्व को जमा करने में सक्षम नहीं है। धरती का सबसे ज्ञानवान समझा जाने वाला मानव की चेतना जागृत नहीं हो रही है जिस कारण पानी की कमी अब 21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी बनकर उभर रही है। कई गांव के लोग कोसों दूर से पानी का इंतजाम कर पा रहे हैं। जरा सोचिए अगर वहां भी पानी नहीं रहा तो फिर क्या होने वाला है। पानी की कमी जीवो पर वज्राघात से भी ज्यादा घातक परिणाम देने वाला साबित होने वाला है। प्राचीन काल का उदाहरण है तालाब
कुटुंबा प्रखंड के अधिकांश तालाब अत्यंत प्राचीनता के द्योतक हैं। लगभग सभी तालाब 52 बीघा के भू-भाग पर फैला है। किसी भी तालाब के निर्माण के बारे में किसी ऐतिहासिकता का पता नहीं है। जहां-जहां तालाब बनाए गए हैं वहां आसपास गढ़ का अवशेष मौजूद हैं। गढ़ जो कभी राजाओं का दुर्ग के रूप में अथवा धार्मिक विस्तार के दौरान धर्मोपदेशक के प्रयोग में लाया जाने वाला स्थान है। तालाब का अस्तित्व हजारों वर्षों से मौजूद होना रिसियप को ऐतिहासिक नगरी होने का प्रमाण पेश कर रहा है। 52 बीघा में फैला है रिसियप तालाब
रिसियप के प्राचीन तालाब के संबंध में पड़ताल के लिए वहां पहुंचा तो लोगों ने कहा कि तालाब किसने बनवाया यह तीन सौ वर्ष पीछे तक के लोगों को मालूम नहीं है। ग्रामीणों ने कहा कि राजा के शासन के दौरान भी तालाब की मौजूदगी रही थी। तालाब का अस्तित्व पुराना है एवं एक गढ़ की भी मौजूदगी कुछ दूर पर है। गढ़ के संबंध में भी किसी को कुछ भी ज्ञात नहीं। पास के ही पवई गांव में राजा का किला है। राजतंत्र के पूर्व ही यहां विकास की नींव गहरी हो चुकी थी।
प्रखंड का एकमात्र तालाब जिसमें है पानी
रिसियप के तालाब में पानी का संग्रह दिखा। तालाब 25 से 30 फीट गहरी है। तालाब का सरकारी डाक होता है। सरकारी डाक दस वर्ष के लिए हुआ है। शिवन बिगहा निवासी धनंजय ¨सह ने इसकी डाक लिया था। दो वर्ष पूर्व उनकी तालाब में डूबकर मौत भी हो गई। अब भी उनके परिजन के जिम्मे ही तालाब है। तालाब में मछली पालन किया जाता है। तालाब के दक्षिणी भाग पर रिसियप थाना बना है। पूर्वी व पश्चिमी भाग पर धीरे-धीरे सरकार के प्रतिनिधियों ने पर्चा दिलाकर यहां लोगों के मकान बनवा दिए। महज 20 से 25 बीघा भूमि पर ही तालाब स्थित है बाकी भूमि लोगों के कब्जे में है। मोटर पंप से भरे जाते हैं तालाब में पानी
रिसियप के तालाब में पूरे वर्ष अगर पानी दिखता है तो वह प्रकृति प्रदत्त वर्षा से नहीं बल्कि मोटर पंप चलाकर इसमें पानी भरा जाता है। मोटर पंप चलने से आसपास की आबादी को चापाकल से पानी निकालने में परेशानी हो रही है। पानी का लेयर भाग जाता है और लोग परेशानी में पड़ जाते हैं। अति प्राचीन है तालाब : लल्लू
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शिवन बिगहा निवासी 75 वर्षीय लल्लू प्रसाद ¨सह बताते हैं कि जब से जन्म लिया तब से तालाब को देख रहे हैं। उनके पिता व दादा से भी संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं मिली कि तालाब का निर्माण किसने कराया। उनका मानना है कि यह अत्यंत प्राचीन तालाब है। साथ ही उन्होंने रिसियप गढ़ की चर्चा की। कहा कि उक्त गढ़ काफी पुराना है। सरकार ने बांट दी जमीन : उमेश
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शिक्षक उमेश कुमार ¨सह कहते हैं कि रिसियप के आसपास का क्षेत्र राजा के शासनकाल में चर्चित रहा है। यहां के राजा द्वारा बाघ का शिकार करने की कथा प्रचलित है। तालाब कब बना इसके बारे में किसी को पूर्ण जानकारी नहीं है। तालाब की भूमि को सरकार ने बंदरबांट करा दिया है जिससे इसके अस्तित्व पर संकट का दौर है।
सौंदर्य का प्रतीक है तालाब : थानाध्यक्ष
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रिसियप थानाध्यक्ष रामराज ¨सह कहते है कि तालाब का उत्तरी भाग सुरक्षा चक्र है थाना का। तालाब से थाना का सौंदर्य बढ़ जाता है। यहां तरह तरह के पक्षियों का आगमन होता रहता है। पक्षियों का कलरव से यहां का वातावरण प्राकृतिक सुख देने वाला बन जाता है। तालाब का होता है डाक : सीओ
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कुटुंबा सीओ अनिल कुमार का कहना है कि तालाब का सरकारी डाक होता है। आसपास की भूमि पर पर्चाधारियों द्वारा घर बनाया गया है। चूंकि भूमि आम गैरमजरुआ है तो इस पर पर्चा जारी होने पर उसे कब्जा दिलाना आवश्यक हो जाता है।