घर की उम्मीदों के साथ टूट गई संभावनाएं
होली के दिन पांच होनहार छात्रों की मौत से मातम है। मौत की सूचना के बाद होली की खुशी मातम में बदल गई। सड़कें सुनी हो गई। सभी के जुबान पर बस यही लफ्ज था कि हे भगवान ये क्या हो गया होली
औरंगाबाद। होली के दिन पांच होनहार छात्रों की मौत से मातम है। मौत की सूचना के बाद होली की खुशी मातम में बदल गई। सड़कें सुनी हो गई। सभी के जुबान पर बस यही लफ्ज था कि हे भगवान ये क्या हो गया होली का यह गुरुवार शहर के लिए काला दिन बन गया। सुबह का होली खेलने के बाद नहाने चले गए। कौन जानता था कि यह अनहोनी हो जाएगी। शहर में गम व गुस्सा है। लोग सकते में हैं कि आखिर नहर में गड्ढा कर क्यों छोड़ दिया गया जो मौत का कुआं साबित हुआ है। सभी होनहार बच्चे थे। मां पिता के सपनों को पूरा करने में लगे थे। होली की छुट्टी में घर आए थे। मृत युवक इंजीनियरिग की तैयारी कर रहे थे। परिवार को उम्मीद था कि बेटा कुछ करेगा। मौत से उनका सपना टूट गया। जिस बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना देखा था वह चूर हो गया। कूचा गली वार्ड संख्या 13 निवासी व्यवसायी नंदकुमार प्रसाद के दो पुत्रों में बड़ा पुत्र निशांत उर्फ हैप्पी दिल्ली में रहकर इंजीनियरिग की तैयारी कर रहा था। महावीर चबूतरा मुहल्ला निवासी रामजी प्रसाद उड़ीसा में रहकर काम करते हैं। इनके पड़ोसी रवि पांडेय ने बताया कि दो भाइयों में बड़ा रौशन अपने दादा और मां के साथ दाउदनगर में रहकर ही पढ़ाई कर रहा था। इसी मुहल्ले के निवासी बसंत कुमार कभी पेंटर तो कभी मजदूरी करते हैं। जीतू कुमार उनका इकलौता पुत्र था जो पटना में रहकर पढ़ाई कर रहा था। यानी मेहनत मजदूरी कर एक मजदूर पिता सुनहले भविष्य का सपना संजोकर अपने पुत्र को पढ़ा रहे थे। इसी मुहल्ले के रहनेवाले महिला कॉलेज दाउदनगर के प्राचार्य प्रो. सच्चिदानंद सिंह का पुत्र ज्ञान सागर चार भाइयों में दूसरे नंबर पर था जो बाहर रहकर पढ़ाई करता था। भखरुआं निवासी सत्येंद्र सिंह का पुत्र रौशन दो भाइयों में छोटा भाई था,जो नवीं कक्षा का छात्र था और पढ़ने में तेज था। गुरुवार को शहर में मातम का माहौल रहा। होली में जहां शाम में लोगो का एक दूसरे के घर आवागमन लगा रहता था वही इस होली में बिल्कुल हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था।