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खेतों में मुरझाने लगे 'आस्था' के फूल

कोरोना मनुष्य की जिदगी लील रहा है। इसका असर हर तरफ दिख रहा है। खेतों में भी कोरोना का असर है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 04:35 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 04:35 PM (IST)
खेतों में मुरझाने लगे 'आस्था' के फूल
खेतों में मुरझाने लगे 'आस्था' के फूल

अंबा (औरंगाबाद)। कोरोना मनुष्य की जिदगी लील रहा है। इसका असर हर तरफ दिख रहा है। लगातार दो वर्ष से अपने रंग बदल रहे कोरोना ने मनुष्य के जीवन को नीरस बना दिया है। मनुष्य इसके आगे बेबस है। राजनीति, अध्यात्म, सामाजिकता और जीवन की डोर टूटने पर गले लगाने वाला फूल भी खेतों में ही मुरझाने लगा है।

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कोरोना से बचने के लिए घर में बंद रहना सबकी बाध्यता है। ऐसे में हजारों रुपये कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों की रीढ़ टूट गई है। पिछले एक दशक से फूलों की खेती कर दधपा गांव के संतोष मालाकार, किशोरी मालाकार, दिलीप मालाकार एवं सुनील मालाकार ने परिवार को माली हालत से निकालकर व्यवसाय में अपनी प्रतिष्ठा बना ली है। चिल्हकी गांव में उक्त युवा किसान ने 15 हजार रुपये बीघा लीज पर खेत ले रखा है। पिछले 10 वर्षों से फूल लगाकर प्रखंड को फूलों की खेती में समृद्ध किया है। पुश्तैनी धंधे को करने का अलग ही आनंद: किशोरी

किसान किशोरी मालाकार ने कहा कि पुश्तैनी धंधे का एक अलग ही महत्व है। इसे करने में जानकारी और अभ्यास की जरूरत नहीं पड़ती है। फूल का माला बनाना, सजावट करना तथा इसे उगाने का धंधा ही माली परिवार करता रहा है। संतोष मालाकार ने कहा कि यह बात ठीक है कि व्यावसायिक खेती में पूंजी अधिक लगती है पर यह भी सत्य है कि मेहनत से की गयी खेती से लाभ भी कुछ कम नहीं मिला करता था। कोरोना के कारण परिवार बेहाल

किसान संतोष ने कहा कि लगातार दो वर्ष से कोरोना ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया है। खुशबू युक्त गेंदा के फूल खेतों में ही मुरझा रहे हैं। कोरोना वायरस के डर से न तो व्यापारी आ रहे हैं, और न ही बाजार लग रहा है। उत्सव, कार्यक्रम चुनाव सब बंद है। यहां तक कि आध्यात्मिक आयोजन से लेकर मंदिर-मस्जिद भी बंद है। फूल के खरीदार नहीं मिल रहे। अंबा के फूलों से महकता है नवीनगर, गया व झारखंड का बाजार

अंबा की फूलों की खुशबू बिहार व झारखंड के कई बाजारों में बिखरती है। किशोरी बताते हैं कि गेंदा व गुलाब के फूल गया, नवीनगर, औरंगाबाद, रांची व झारखंड के कई बाजारों में वर्षों से भेजी जा रही थी। दस कट्ठे की फूल की खेती से एक सीजन में लगभग पचास हजार की आमदनी हो जाती थी। -----------------------

फूल की खेती किसानों को समृद्ध बनाने के लिए एक बेहतर जरिया है। इस खेती में किसान को फसल व व्यवसाय दोनों मिल जाता है। दधपा के किसान की खेती को देखकर उन्हें आवश्यक संसाधन दिलाने का प्रयास किया जाएगा। उद्यान विभाग से इस खेती के लिए सहायता दी जाती है। कोरोना के इस दौर में सरकार का गाइडलाइन की प्रतीक्षा है। औषधीय खेती के लिए उद्यान विभाग से किसान को सहायता मिलनी चाहिए। ताकि संकट के इस दौर में भी किसान का हौसला बना रहे।

अरुण कुमार, बीएओ, अंबा


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