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संरक्षण के अभाव में दम तोड़ रही नदियां

औरंगाबाद। गर्मी की तपिश शुरू हो गई है। अप्रैल माह गुजर रहा है और इस माह में ही जल का स्तर तेजी से न

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 08:38 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 08:38 PM (IST)
संरक्षण के अभाव में दम तोड़ रही नदियां
संरक्षण के अभाव में दम तोड़ रही नदियां

औरंगाबाद। गर्मी की तपिश शुरू हो गई है। अप्रैल माह गुजर रहा है और इस माह में ही जल का स्तर तेजी से नीचे की ओर भाग रहा है। हालात यह हो गया है कि ग्रामीण इलाके में चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है। जिले की प्रमुख नदियां सूख चुकी है। बटाने, अदरी, पुनपुन, केशहर समेत अन्य नदियों से पानी गायब हो गया है। नदियों के सूखने का सीधा प्रभाव नदी किनारे बसे गांवों में दिखने लगा है। गांवों का चापाकल सूख गया है। गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचा है। नदियों के सूखने का असर न सिर्फ मानव जीवन पर पड़ रहा है बल्कि जंगली पशु और पक्षियों पर पड़ रहा है। ग्रामीण इलाके में नीलगाय, बंदर समेत अन्य पशु पानी बिना दम तोड़ रहे हैं। पक्षियों की मौत हो रही है। कुटुंबा प्रखंड के गोरडिहा गांव निवासी राजकुमार पांडेय ने बताया कि गांव का अधिकांश चापाकलों ने पानी देना बंद कर दिया है। आसपास के गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है। जो ¨रग बो¨रग चापाकल है वहीं थोड़ा बहुत पानी दे रहा है। 70 से 80 फीट पर पानी दे रहे चापाकल पानी देना बंद कर दिया है। रिसियप के रामाशीष ¨सह ने बताया कि बरसात में विकराल रुप धारण करने वाली बटाने की आज यह हालत देख लग रहा है कि कुछ वर्षों बाद नदी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। पहले गर्मी में भी नदी में पानी बहती रहती थी आज गर्मी प्रारंभ होने से पहले ही सूख जाती है। नदी के सूखने का सीधा प्रभाव पेयजल पर पड़ता है। घर का चापाकल सूख जाता है। कहा कि संरक्षण के अभाव में नदियों की यह स्थिति उत्पन्न हुई है। सरकार स्तर से नदियों के सफाई का कोई कार्ययोजना नहीं बनाई जाती है यही कारण है कि नदियों का वजूद समाप्त होता जा रहा है। नदियों में बाढ़ नहीं आने और हर वर्ष बालू की खनन होने से नदियों से बालू भी समाप्त हो गया है। नदियां नाले का रुप ले ली है और बालू मिट्टी में बदल गया है। पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि गर्मी के मौसम में हर वर्ष जल का स्तर नीचे की ओर भागता है। जल संकट वाले गांवों में पेयजल के लिए टैंकर से पानी भेजा जाता है। कहा नदियों के सूखने का असर पास के गांवों में चापाकल पर पड़ता है।

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