दाउदनगर निवासी रेलकर्मी की छत्तीसगढ़ मे हत्या
औरंगाबाद। दाउदनगर थाना क्षेत्र के एकौनी में हरेश कुमार का मंगलवार को हाई स्कूल के बगल
औरंगाबाद। दाउदनगर थाना क्षेत्र के एकौनी में हरेश कुमार का मंगलवार को हाई स्कूल के बगल में दाह संस्कार किया गया। उसकी हत्या छत्तीसगढ़ में तेज धार वाले हथियार से विभक्त तरीके से सोमवार को कर दी गई थी। गांव शव आने के बाद मातम पसर गया। मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया। उस समय पूरा गांव रो पड़ा जब मृतक के 5 वर्षीय पुत्र आशीष कुमार ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। शव पर तिरंगा लपेटा गया। हरेश बाबू अमर रहे का नारा बुलन्द किया गया। ग्रामीणों को यह पता नहीं है कि हरीश की हत्या क्यों और किसने की है। वह छत्तीसगढ़ में रेलवे में ग्रुप डी का कर्मी था। नवलपुर गेट पर कार्यरत था। ग्रामीणों को शक है कि कुदाल से सिर और गाल पर मारकर उसकी हत्या जघन्य तरीके से की गई है। बताया गया कि वह रात्रि ड्यूटी पर था और केविन में ही रखे हुए फावड़े का इस्तेमाल कर उसकी जघन्य तरीके से हत्या कर दी गई। उसके शव को घटनास्थल से करीब 40 मीटर दूर ले जा कर फेंका गया था। छत्तीसगढ़ पुलिस के अनुसार मौके पर हरेश द्वारा संघर्ष किए जाने के भी सबूत मिले हैं। वहां की पुलिस जांच कर रही है। बताया गया कि नवलपुर में इस हत्या के खिलाफ रेल कर्मियों ने प्रदर्शन किया और रेल कर्मियों की सुरक्षा की मांग करते हुए हत्यारों को फांसी देने की मांग की। मंगलवार को जब उसका अंतिम संस्कार किया गया तो पूरा हुजूम टूट पड़ा। लोगों का कहना है कि बहुत परिश्रम के बाद हरेश ने नौकरी हासिल की थी। वह अपने माता-पिता का इकलौता संतान था। उसकी हत्या के बाद परिवार पूरी तरह टूट गया है। उसके पिता मितन महतो की मृत्यु वर्ष 2006 में बीमारी के कारण हो गई थी। वे सिदुआर पंचायत के मुखिया रहे थे। वर्ष 2001 में मुखिया निर्वाचित थे। उनके साथ मुखिया का चुनाव लड़ चुके सत्येंद्र चंद्रवंशी ने बताया कि स्व.महतो एकदम गरीब परिवार के थे। वे तीन किलो अनाज मजदूरी कर कमाने वाले श्रमिक थे। मुखिया बनने के बावजूद उनके घर समृद्धि नहीं आई। ग्रामीणों के अनुसार उनका परिवार काफी गरीब है। 60 वर्षीय दादी के हवाले तीन मासूम ग्रामीण भोला कुमार के अनुसार हरेश की हत्या के बाद उसके घर में उसकी 60 वर्षीय मां, पत्नी संजू देवी एक पुत्र 5 वर्षीय आशीष कुमार, दो बेटी 10 वर्षीय सोनम और 7 वर्षीय चांदनी बची हैं। इन बच्चों की जिम्मेदारी मां और वृद्ध दादी के ऊपर आ गई है। दाह संस्कार में ग्रामीणों के साथ कई नेता भी शामिल हुए।