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तकनीकी युग में कंप्यूटर की जानकारी से वंचित बच्चे

औरंगाबाद। समय : 10 बजे, स्थान : कन्या मध्य विद्यालय कुटुंबा, दिन : बुधवार। विद्यालय के बरामदा में

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 06:08 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 06:08 PM (IST)
तकनीकी युग में कंप्यूटर की जानकारी से वंचित बच्चे
तकनीकी युग में कंप्यूटर की जानकारी से वंचित बच्चे

औरंगाबाद। समय : 10 बजे, स्थान : कन्या मध्य विद्यालय कुटुंबा, दिन : बुधवार। विद्यालय के बरामदा में प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर प्रसाद साहू मध्याह्न भोजन में लगे रसोईया को बारीकी से भोजन बनाने के लिए सुझाव दे रहे थे। कक्षा में शिक्षक अध्यापन कार्य में जुटे थे। विद्यालय के बाहर किसी प्रकार की हलचल नहीं दिख रही थी। प्रधानाध्यापक ने विद्यालय का इतिहास बताना शुरू किया। बताया कि वर्ष 1887 में विद्यालय की स्थापना हुई थी। विद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षक अपने विषय के अच्छे जानकार हैं। कक्षा नियमित संचालित होता है। कक्षा 1 में पहुंचने पर देखा कि शिक्षक धनंजय कुमार श्यामपट्ट पर बच्चों को गणित का सवाल बता रहे हैं। बच्चे स्कूल ड्रेस में बैठे दिखे और उनका ध्यान पढ़ाई पर थी। उपरी तल पर कक्षा पांच में शिक्षिका किरण बच्चों को ¨हदी भाषा के व्याकरण खंड से सर्वनाम व उसके प्रयोग के संबंध में बता रही थी। बताया गया कि स्थापना के समय विद्यालय में कक्षा सात तक की पढ़ाई होती थी। वर्तमान में वर्ष 2005 में सरकारी प्रावधान में आए बदलाव के बाद यहां कक्षा आठ तक की पढ़ाई होती है। विद्यालय का व्यवस्थित दायरा कम है पर यहां 262 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। केवल 7 डिसमिल में विद्यालय संचालित होता आ रहा है।

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विद्यालय में संसाधन का है अभाव

प्रधानाध्यापक से विद्यालय में संसाधन के बारे में जब बात की तो उन्होंने बताया कि भूमि की कमी इसकी बड़ी बाधा है। विद्यालय में कामन रूम, पुस्तकालय, शिक्षक सदन का अभाव है। पुस्तकें, टेबल, आलमीरा, उपस्कर, के साथ ही चारदीवारी व विज्ञान प्रयोगशाला का न होना, छात्र-छात्रा के लिए कम से कम दो दो शौचालय की आवश्यकता है। कहा कि संसाधन विकसित होने पर वे बच्चों में अनेक प्रकार के गुणों का विकास करने के प्रति उत्साहित हैं। विद्यालय के बच्चों के लिए खेल मैदान का अभाव सबसे बड़ी बाधा है। आसपास सरकारी भूमि के संबंध में कहा कि इसकी भारी कमी है अन्यथा विद्यालय को और मजबूती दी जा सकती थी।

विद्यालय में गठित है मीना मंच व बाल संसद

शिक्षक धनंजय कुमार ने बताया कि विद्यालय के बच्चों में नैतिक गुण, कार्य करने की जिम्मेदारी, सहयोगात्मक प्रवृतियां तथा सुचारू संचालन के लिए बाल संसद तथा मीना मंच को सक्रिय किया गया है। बाल संसद में प्रधानमंत्री बेबी कुमारी, उपप्रधान मंत्री विशाल कुमार हैं। स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मंत्री आरती कुमारी, उपस्वास्थ्य व स्वच्छता मंत्री निर्भय कुमार तिवारी, शिक्षा मंत्री अंकित कुमार, उपशिक्षा मंत्री नूरी प्रवीण, जल एवं कृषि मंत्री पंकज कुमार, उप जल एवं कृषि मंत्री खूश्बू, पुस्तकालय व विज्ञान मंत्री रजनीश कुमार बनाए गए हैं। इनके अलावा भी कई छात्र-छात्रा दायित्व निभा रहे हैं। मीना मंच का कार्य भी ससमय संचालित होता है। सभी कक्षा के लिए मानिटर नियुक्त हैं। विद्यालय शिक्षा समिति की नियमित बैठक होती है। अध्यक्ष ¨चता देवी एवं सचिव संजु देवी हैं।

तकनीकी युग में कंप्यूटर की पढ़ाई वंचित बच्चे

प्रधानाध्यापक कक्ष में प्रवेश करते ही उन्होंने कहा कि एक चीज गहरे रूप से चुभती रहती है विद्यालय में कंप्यूटर का न होना। शिक्षक चाहते हैं कि कक्षा एक से ही बच्चों में कंप्यूटर शिक्षा दी जाए तो बच्चे आगे चलकर बेहतर ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। कंप्यूटर के अभाव में यह कार्य नहीं हो पा रहा है। बच्चे शनिवार को संचालित पुस्तकालय में अध्ययन करते हैं जहां तीन टेबल लगे हैं कुर्सियां लगी हैं।


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