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अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के लिए जमीन की तलाश

औरंगाबाद। अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के लिए जमीन की तलाश पूरी हो चुकी है। स्थिति में अचानक कोई

By Edited By: Published: Wed, 03 Aug 2016 06:02 PM (IST)Updated: Wed, 03 Aug 2016 06:02 PM (IST)
अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के लिए जमीन की तलाश

औरंगाबाद। अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के लिए जमीन की तलाश पूरी हो चुकी है। स्थिति में अचानक कोई बदलाव नहीं हुआ तो संभव है कि नगर पंचायत की सीमा से सटे अमृत बिगहा एवं भगवान बिगहा के बीच मौजा गुमा में इसके लिए भवन बन सकता है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार 9 एकड़ 71 डीसमिल भूखंड का प्रस्ताव तैयार कर अंचल कार्यालय ने अग्रसारित कर दिया है। सीओ विनोद सिंह ने बताया कि मौजा गुमा, थाना नंबर-49 में यह जमीन है। इसका प्रस्ताव तैयार कर उन्होंने एसडीओ कार्यालय को भेज दिया है। उनके स्तर का काम निष्पादित हो गया है। सूत्रों के अनुसार एसडीओ कार्यालय से अभिलेख एडीसी रामअनुग्रह सिंह के कार्यालय को प्राप्त हो गया है। वहा से भाया डीएम यह अभिलेख जिला जज और वहा से संभवत: पटना उच्च न्यायालय को चला गया है। सूत्रों के अनुसार एक और भूखंड के लिए प्रस्ताव गया था, किंतु उसमें अधिक जमीन बकास्त मालिक का था जिसे रैयतीकरण कर मुआवजा देना पड़ता, जिस कारण वह लटक गया। तीसरे-चौथे किसी जमीन का कोई प्रस्ताव अंचल कार्यालय से आगे नहीं गया है।

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कुल 21 रैयतों को होगा लाभ

फोटो फाइल - 03 एयूआर 02

दाउदनगर (औरंगाबाद) : प्रस्तावित भूखंड पर यदि अनुमंडल व्यवहार न्यायालय का भवन बनता है तो उससे सीधे आर्थिक लाभ 21 रैयतों को मिलेगा। सीओ विनोद सिंह ने बताया कि कुल 13 रैयतों की 8 एकड़ 95 डीसमिल एवं बकास्त मालिक वाली जमीन के 8 मालिकों की 76 डीसमिल जमीन को मिलाकर कुल 9 एकड़ 71 डीसमिल जमीन का प्रस्ताव भेजा गया है। दाउदनगर-बारुण रोड में अमृत बिगहा और भगवान बिगहा के बीच यह भूखंड है। इस स्थल तक जाने के लिए एक रैयत ने 20 फीट चौड़ी सड़क हेतु अपनी 10 डीसिमिल जमीन देने का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों के अनुसार यदि उच्च न्यायालय इस प्रस्ताव को स्वीकार लेता है तो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

विरोध में हैं अधिवक्ता

दाउदनगर (औरंगाबाद) : अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता इस प्रस्ताव के विरोध में हैं। इनका कहना है कि माडल न्यायालय की स्थापना दूरी पर होने से समस्या उत्पन्न हो सकती है। सूत्रों की मानें तो इनकी चिंता यह भी है कि अनुमंडल व्यवहार न्यायालय में इनके बैठने की बेहतर व्यवस्था हो चुकी है। दूसरी जगह न्यायालय जाने से बैठने की व्यवस्था करना पड़ेगा जो मुश्किल और अधिक समय खर्च करने वाला होगा।


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