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दावा 24 घंटे सेवा का, हकीकत अंधेरे में

औरंगाबाद। ग्रामीणों क्षेत्रों में स्थित अस्पताल का हाल बेहाल है। न चिकित्सक हैं न कर्मी। जो हैं

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 05:20 PM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 05:20 PM (IST)
दावा 24 घंटे सेवा का, हकीकत अंधेरे में
दावा 24 घंटे सेवा का, हकीकत अंधेरे में

औरंगाबाद। ग्रामीणों क्षेत्रों में स्थित अस्पताल का हाल बेहाल है। न चिकित्सक हैं न कर्मी। जो हैं भी वे समय से डयूटी नहीं आते हैं। अस्पताल का हाल जानने जागरण की टीम अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पवई पहुंची तो आदेशपाल के अलावा कोई नहीं था। समय : सुबह के 07.45 बजे। दिन : शुक्रवार स्थान : अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पवई परिसर। अस्पताल के अंदर जेनरेटर ऑपरेटर रवींद्र पासवान बैठे थे। अस्पताल में पूरी तरह सन्नाटा पसरा था। यहां न चिकित्सक थे न नर्स, न कर्मी। पूछे जाने पर बताया गया कि आयुष चिकित्सक डा. विनोद कुमार ¨सह कार्यरत हैं। ड्यूटी सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक है परंतु 9 बजे तक अस्पताल नहीं पहुंचे थे। कार्यरत नर्स के संबंध में बताया कि रात्रि आठ बजे से सुबह आठ बजे तक एएनएम इंदु कुमारी एवं शीला कुमारी की ड्यूटी थी। इंदु कुमारी छुट्टी पर है और शीला कुमारी कुछ देर पहले अपने घर चली गई। डयूटी आठ बजे तक था तो पहले कैसे घर चली गईं यह सवाल अहम है। ऑपरेटर रवींद्र ने बताया कि डा. विनोद आयुष चिकित्सक हैं जिस कारण सिर्फ आयुर्वेदिक दवा देते हैं। अस्पताल में आकस्मिक इलाज नहीं हो पाता है। बताया जाता है कि जनवरी 2014 में अस्पताल में 24 घंटे सेवा शुरू की गई। तब ग्रामीणों को लगा कि अब इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा परंतु मरीजों को 24 घंटे इलाज की सुविधा देने का सपना धरातल पर नहीं उतरा। सरकार भले ही अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने का दावा कर रही हो परंतु यह साबित नहीं हो रहा है। हालात यह है कि मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में न चिकित्सक आते हैं न मरीज। यहां नर्स भी अपने मर्जी से ही कार्य करते हैं। जब मन करता है आती हैं और जब मन किया तब चले जाते हैं। चिकित्सक एवं नर्स की लापरवाही के कारण पूरा गांव परेशान रह रहा है। लापरवाही के कारण ग्रामीणों को समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण किशोरी नंदन ने बताया कि अस्पताल का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। यहां न इलाज होता है और न चिकित्सक व कर्मी आते हैं। सर्दी-खांसी का दवा उपलब्ध नहीं है। इंजेक्शन देने के लिए रुई नहीं है। एमबीबीएस चिकित्सक न होने के कारण अस्पताल के अस्तित्व पर संकट है। प्राथमिक उपचार करने में भी अस्पताल लाचार है। कहते है अधिकारी

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अस्पताल में चिकित्सक व कर्मी नहीं आते हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई की जाएगी। हम बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने को कृतसंकल्प है। दवा भरपुर मात्रा में उपलब्ध है।

डा. जनार्दन प्रसाद, प्रभारी सीएस, औरंगाबाद।


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