अस्पताल में नवजात शिशु का नहीं हो रहा निबंधन
औरंगाबाद। मातृ सुरक्षा एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई योजना
औरंगाबाद। मातृ सुरक्षा एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। इनमें से एक है नवजात शिशुओं का निबंधन। जन्म लिए शिशु का निबंधन कराया जाना है, ताकि उसे समय पर सभी टीका से लेकर अन्य रोग का उपचार किया जा सके। बता दें कि निबंधन की जिम्मेदारी विभाग द्वारा नर्स को दी गई है। नर्सों की उदासीन रवैया के कारण नवजात शिशुओं का निबंधन नहीं हो पा रहा है। विभाग की अनदेखी एवं नर्सों की लापरवाही के कारण नवजात का बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है। सदर अस्पताल से लेकर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों का हाल बदहाल है। विभागीय आंकड़े बताते हैं कि जिला के सभी सरकारी अस्पतालों में कुल 6,265 नवजात शिशु जन्म लिए परंतु मात्र 1,336 शिशुओं का निबंधन हो सका। यानी जन्म लिए बच्चों में से मात्र 1.9 प्रतिशत का निबंधन किया गया। जब उच्च अधिकारियों द्वारा फटकार लगाई जाती है तो निबंधन किया जाता है। मामला शांत होने पर निबंधन करना छोड़ दिया जाता है। वर्ष 2018 में पीएचसी जम्होर में 692 नवजात शिशुओं ने जन्म लिया परंतु एक भी निबंधन नहीं किया गया। पीएचसी दाउदनगर की स्थिति भी बदहाल है। यहां 521 नवजात शिशु जन्म लिए परंतु एएनएम के द्वारा एक का भी रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सका। स्थिति यह है कि निबंधन नहीं होने के कारण जन्म प्रमाण पत्र से लेकर अन्य चीजों के लिए परिजनों को अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। प्रखंड का नाम जन्म लिए नवजात निबंधन की स्थिति प्रतिशत
जम्होर 692 0 0
दाउदनगर 521 0 0
देव 429 126 2.4
गोह 576 104 1.5
हसपुरा 392 218 4.6
कुटुंबा 570 176 2.6
ओबरा 558 166 2.5
रफीगंज 749 16 0.2
मदनपुर 517 3 0
नवीनगर 758 1 0 कहते हैं सीएस -
सिविल सर्जन डा. अमरेंद्र नारायण झा ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में संबंधित कर्मियों को निबंधन करने का निर्देश दिया गया है। नवजात शिशु का निबंधन कराना अनिवार्य हैं। जो लोग इस कार्य में लापरवाही बरतेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।