Aurangabad: कीट से सूखी 500 एकड़ में लगी धान की फसल, ज़िला कृषि अधिकारी गांव आए पर फसल देखने तक नहीं गए
भूरा मधुआ कीट अर्थात ब्राउन ग्रास हापर किट से किसान के खेतों में लहलहाती धान की फसल बर्बाद हो रही है। दाउदनगर अनुमंडल क्षेत्र का शायद ही कोई पंचायत हो जहां के किसान इस कीट से परेशान ना हों। खेतों में लगी धान की फसल सूखते देख किसान मायूष हैं।
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : भूरा मधुआ कीट अर्थात ब्राउन ग्रास हापर किट से किसान के खेतों में लहलहाती धान की फसल बर्बाद हो रही है। दाउदनगर अनुमंडल क्षेत्र का शायद ही कोई पंचायत हो जहां के किसान इस कीट के कारण परेशान ना हों। खेतों में लगी धान की फसल सूखते देख किसान मायूष हैं। प्रखंड कृषि पदाधिकारी विजय रजक ने बताया कि दाउदनगर प्रखंड क्षेत्र में 300 से अधिक किसान इस रोग से प्रभावित हैं। लगभग 500 एकड़ में लगी फसल की फसल मारी गई है।
कनाप में करीब 60 किसानों की फसल सूखी
किसानों ने बताया कि अकेले कनाप पंचायत में करीब 60 किसानों के खतों में लगी धान की फसल सूख गई है। करीब 80 बीघा में लगी धान की फसल बर्बाद हो रही है। बलहमा गांव के किसान नरेंद्र कुमार शर्मा, राजेंद्र यादव, सुरेश साव, अभिनव कुमार ने बताया कि बलहमा गांव का रकबा करीब 1684 बीघा का है और 90 प्रतिशत में धान की फसल बर्बाद हो रही है। बताया कि तेजी से यह कीट फसल को बर्बाद कर रही है। बताया कि जब जिला कृषि पदाधिकारी से इस मुद्दे पर बात की गई तो वे गांव आए लेकिन फसल देखने खेत तक भी नहीं गए। जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है।
उपाय भी पूछने पर अधिकारी ने नहीं बताया
बताया कि इस कीट का उपाय भी पूछने पर जिला कृषि कार्यालय द्वारा जानकारी नहीं दी गई। किसानों ने बताया कि तेजी से कीट लग रहा है और फसल को बर्बाद कर दे रहा है। जिस खेत में कीट लग रहा है दो-चार दिन जाते-जाते बड़े क्षेत्रफल को बर्बाद कर दे रहा है। किसानों ने बताया कि जिला कृषि कार्यालय उनकी नहीं सुन रहा है, इस कारण न सिर्फ उनकी फसल बर्बाद हो रही है बल्कि संभावित आमदनी के साथ लागत भी बर्बाद हो रहा है। स्थिति यह है कि खेत में धान कटनी भी नहीं किया जा सकता है। किसानों ने बताया कि किसान सलाहकार चितरंजन शर्मा ने उन्हें दवा बताया जिसका वे इस्तेमाल कर रहे हैं।
दो दवाइयों का इस्तेमाल कर बचा सकते फसल
कनाप पंचायत के किसान सलाहकार चितरंजन शर्मा ने बताया कि डायनोटेफ्यूरान और पायमेट्रोझाइन दवा का इस्तेमाल किसानों को ऐसी स्थिति में करना चाहिए। पायमेट्रोझाइन 120 ग्राम और 50 ग्राम डायनोटेफ्यूरान 20 टंकी पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। जैसा कि कनाप में किया जा रहा है और इसका प्रभाव बेहतर हो रहा है। इससे कीट पैरालाइज हो जाता है और अंडा देने की वह क्षमता खो देता है। बताया कि दोनों दवा अंतर प्रवाही दवा है। कृषि वैज्ञानिक के आने की प्रतीक्षा प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बताया कि फसल बर्बाद होने का आकलन कर जिला कृषि कार्यालय को रिपोर्ट भेजा गया है। कृषि वैज्ञानिक के आने और भौतिक निरीक्षण की प्रतीक्षा है। वैसे कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दवा बताई जा रही है जिसका इस्तेमाल किसान कर रहे हैं।