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Nirbhaya Case Hanging: फांसी के बाद अक्षय के पैतृक गांव में आक्रोश, मीडिया पर पाबंदी

Nirbhaya Case Hanging निर्भया कांड के गुनहगार अक्षय ठाकुर का शव शनिवार को उसके पैतृक गांव पहुंचा। गांव के लोगों में उससे सहानुभूति दिखी। शव के आते ही माहौल गमगीन हो गया।

By Edited By: Published: Sat, 21 Mar 2020 10:03 PM (IST)Updated: Sat, 21 Mar 2020 10:04 PM (IST)
Nirbhaya Case Hanging: फांसी के बाद अक्षय के पैतृक गांव में आक्रोश, मीडिया पर पाबंदी
Nirbhaya Case Hanging: फांसी के बाद अक्षय के पैतृक गांव में आक्रोश, मीडिया पर पाबंदी

औरंगाबाद, जेएनएन। निर्भया सामूहिक दुष्‍कर्म व हत्‍याकांड के गुनहगार अक्षय सिंह ठाकुर को 20 मार्च को दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। इसके बाद उसका शव 21 मार्च की सुबह उसके पैतृक गांव औरंगाबाद के टंडवा थाना क्षेत्र स्थित करमा लहंग पहुंचा। शव के पहुंचने पर माहौल मातमी हो गया। इस फांसी को लेकर अक्षय के गांव में आक्रोश दिखा। वहां मीडियाकर्मियों को जाने से रोका जा रहा था।

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पूरे गांव के लोग अक्षय के घर के पास खड़े थे। बेटे का शव देख उनके पिता सिसक रहे थे। मां व पत्नी भी शव से लिपट कर विलाप कर रही थीं। अक्षय के गुनाह ने उनके पिता के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया।

शव देखते ही उसकी मां मालती देवी बेहोश हो गिर पड़ीं। वहीं शव के साथ आई पत्नी पुनीता देवी, बेटे प्रियांशु कुमार का रो-रोकर बुरा हाल था। पत्नी रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी और होश आने पर पति को खोजती थी। पुनीता की जुबान से बस एक ही बात निकल रही थी कि वह भी भारत की बेटी है, उसे भी जीने का हक है। उसने और उसके बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था? इतना कहकर वह अपने बेटे प्रियांशु को गले लगाकर रोने लगती है। उसका कहना था कि उसका पति निर्दोष था और उसे साजिश के तहत फांसी की सजा दी गई।

अक्षय की फांसी के बाद से ही गांव में बाहरी व्यक्तियों व मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। मीडिया के मामले को प्रकाशित-प्रसारित किए जाने से आक्रोशित ग्रामीणों ने गांव में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। शुक्रवार को गांववालों को जैसे ही फांसी की सजा मिलने की खबर मिली करमा लहंग गांव में किसी के घर में चूल्हा तक नहीं जला। अक्षय ठाकुर के वृद्ध पिता सरयू सिंह ने कहा, कभी सोचा नहीं था कि बेटे के शव को कंधा दूंगा। इतना कहकर वे रोने लगे।

अक्षय की गलती के कारण पूरे देश में औरंगाबाद जिले का नाम शर्मसार हुआ है। अक्षय व उसके साथियों की गलती किसी भी सूरतेहाल में क्षमा के योग्य नहीं थी। हालांकि, उसके गांव के लोगों को उससे सहानुभूति दिखी।


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