मुख्यालय में रहने का है सरकारी आदेश पर आवास खंडहर में तब्दील
अरवल। तीन साल पहले राज्य सरकार द्वारा प्रखंड तथा अंचल के सभी अधिकारियों व कर्मियों को मुख्यालय में रात बिताने का निर्देश जारी किया गया था। जिले में इस आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है। प्रखंड व अंचल कर्मी कार्यालय का समय समाप्त होते ही जिला मुख्यालय की ओर कूच कर जाते हैं।
अरवल। तीन साल पहले राज्य सरकार द्वारा प्रखंड तथा अंचल के सभी अधिकारियों व कर्मियों को मुख्यालय में रात बिताने का निर्देश जारी किया गया था। जिले में इस आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है। प्रखंड व अंचल कर्मी कार्यालय का समय समाप्त होते ही जिला मुख्यालय की ओर कूच कर जाते हैं। इसके बाद उनका कार्यालय अवधि में ही आना होता है। सरकारी आदेश का उल्लंघन करने के लिए प्रखंड व अंचल के अधिकारी व कर्मी बाध्य हो रहे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि प्रखंड कार्यालय परिसर में उन लोगों के लिए जो आवास हैं, वे खंडहर में तब्दील हो गए हैं। इस कारण किराए के मकान में ही रहना उनकी मजबूरी है।
जिले के अधिकांश प्रखंड मुख्यालय ग्रामीण क्षेत्र में होने से किराए का मकान मिलना मुश्किल हो जाता है। परिणामस्वरूप अधिकारी और कर्मी जिला मुख्यालय में किराए का मकान लेकर रहते हैं। इस स्थिति में कभी-कभार विधि व्यवस्था के संधारण में भी समस्या खड़ी हो जाती है। किसी मामले को लेकर सड़क जाम होने पर तत्काल अंचलाधिकारी नहीं पहुंच पाते हैं। इससे स्थिति ज्यादा उग्र हो जाती है। करपी व कुर्था प्रखंड मुख्यालय में जर्जर हैं सरकारी आवास
जिले के पांच प्रखंडों में कलेर के प्रखंड तथा अंचल कर्मियों के आवास हाल के दिनों में ही बनाए गए हैं। नतीजतन, वहां की स्थिति बेहतर है। वहीं, सदर प्रखंड में सरकारी आवास की स्थिति जर्जर होते जा रही है। करपी और कुर्था में लगभग सभी आवास खंडहर में तब्दील हो गए हैं। वहां किसी का रहना मुश्किल है। करपी बीडीओ द्वारा अपने आवास का जीर्णोद्धार कराया गया था। अन्य अधिकारियों और कर्मियों के लिए यहां कोई आवासीय सुविधा नहीं है। अंचलाधिकारी अंचल गार्ड के बगल में एक कमरे में अपना गुजारा करते हैं। वहीं, कुर्था बीडीओ प्रखंड कार्यालय परिसर में एक सामुदायिक भवन में जरूरत पड़ने पर रात बिताते हैं। वंशी प्रखंड में फिलहाल आवास का निर्माण चल रहा है। 90 के दशक में खंडहर में तब्दील होते चले गए एक-एक कर सभी आवास
करपी तथा कुर्था प्रखंड परिसर में 1960 के दशक में आवास बनाए गए थे। जब आवास बने था तब अधिकारी से लेकर कर्मी तक रहते थे। 1990 से 2000 के बीच नक्सल गतिविधियों के चरम पर रहने के कारण अधिकारी प्रखंड मुख्यालय में रात बिताना मुनासिब नहीं समझने थे। इस कारण आवास के रखरखाव पर सरकार का ध्यान नहीं रहा। परिणामस्वरूप आवास की स्थिति बदहाल होती चली गई।
कुछ प्रखंडों में सरकारी आवास जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं। वैसे कर्मी जिनको सरकारी आवास मिला था और वह जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है वे लोग फिलहाल प्रखंड मुख्यालय में ही किराए का मकान लेकर रहते हैं।
ज्योति कुमार, एडीएम, अरवल।