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सुबह से ही बंद को सफल बनाने में जुटे रहे समर्थक

अरवल। वाम दलों द्वारा आहूत बिहार बंद में ट्रेड यूनियन संगठनों के साथ ही राजद और हम का भी यहां साथ मिला।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 12:48 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 12:48 AM (IST)
सुबह से ही बंद को सफल बनाने में जुटे रहे समर्थक
सुबह से ही बंद को सफल बनाने में जुटे रहे समर्थक

अरवल। वाम दलों द्वारा आहूत बिहार बंद में ट्रेड यूनियन संगठनों के साथ ही राजद और हम का भी यहां साथ मिला। बुधवार को सुबह से ही सड़क पर झंडे बैनरों के साथ बंद समर्थक उतर गए थे। जिला मुख्यालय से गुजरने वाली एनएच 110 तथा 139 पर वाहनों का परिचालन तो ठप रहा ही। बंद का असर करपी,कुर्था, ¨कजर,कलेर तथा वंशी में भी देखने को मिला। इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल लोगों ने सरकार को मजदूर व कर्मचारी विरोधी बताते हुए जमकर नारेबाजी की। प्राय: जिन सड़कों पर वाहनों की भीड़ नजर आती थी वहां सिर्फ झंडे पताखे के साथ बंद समर्थक ही नजर आ रहे थे। बड़े वाहनों के साथ-साथ छोटे वाहनों के परिचालन को भी बंद समर्थक पुरी तरह ठप कर रखे थे। हालांकि एंबुलेंस तथा आवश्यक सेवा को आने जाने दिया जा रहा था। इस बंद की घोषणा कई दिन पहले से रहने के कारण लोग सफर पर नहीं निकलना ही मुनासिब समझे थे लेकिन कई ऐसे लोग थे कि जिन्हें वाहनों से बाहर जाना था उनलोगों को बंद के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा। जहानाबाद मोड़ के समीप माले नेता उपेंद्र पासवान की अध्यक्षता में सड़क पर ही सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि देश व्यापी हड़ताल के समर्थन में यह बंद रोजगार, मजदूरी, वेतन तथा स्थायीकरण जैसी मांग को लेकर की गई है। उनलोगों ने कहा कि मूलभूत समस्याओं से लोगों को भटकाने के उद्देश्य से केंद्र की सरकार आरक्षण का सगुफा छोड़ी है। लेकिन जिस तरह से खेत मजदूर किसान सरकारी कर्मी समेत आम आवाम हलकान हो रहे हैं उसपर सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है। उनलोगों ने कहा कि मजदूर विरोधी श्रम कानूनों में संशोधन को वापस लिया जाए तथा न्यूनतम वेतन 18000 रुपए प्रतिमाह निर्धारित किया जाए। जिस तरह से आंगनबाड़ी, सेविका, सहायिका, आशा कार्यकर्ता तथा रसोईया मामूली पैसे पर काम कर रही हैं यह व्यवस्था पूरी तरह गलत है। इस बढ़ती महंगाई में मामूली वेतन पर घर चलाना मुश्किल हो रहा है। वक्ताओं ने कहा कि किसानों का कर्ज माफ कर धान का समर्थन मूल्य 25 सौ किया जाए। बढ़ते अपराध की घटनाओं के साथ ही दलित उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए। इस मौके पर राजद के जिलाध्यक्ष रामाशीष रंजन उर्फ रंजन यादव,सीपीआई के अरुण कुमार,

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कुमार वैभव,सीपीएम के सगीर , हम के जिलाध्यक्ष सुनिल कुमार,एक्टू के र¨वद्र यादव,आंगनबाड़ी के जिलाध्यक्ष मीरा देवी,बच्चु कुमार, ललिता देवी, कामेश्वर ¨सह, विजय कुमार, रामाकांत शर्मा,अनिल डोम, फुलेश्वरी देवी, अजय शर्मा आदि लोगों ने अपना विचार रखा। इधर कुर्था में बंद का व्यापक असर देखा गया। वाम दलों के साथ-साथ महागठबंधन के लोग रसोईयां,आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका भी सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे थे। भाकपा माले के महेश यादव, अवधेश यादव,सीआईसीयू के रुपेश कुमार, हम के अमलेश यादव,राजद के चंद्रभान यादव,सीपीआई के युगल किशोर शर्मा, लक्ष्मी प्रसाद, संजय भारती,आशा कर्मी के प्रखंड अध्यक्ष तारा देवी, किरण देवी, रुबी देवी समेत बड़ी संख्या में लोग इस मौके पर मौजूद थे।करपी प्रखंड मुख्यालय में बंद समर्थकों ने जगदेव चौक पर मानव श्रृंखला बनाकर सरकार के नीतियों का विरोध किया। ट्रेड यूनियन नेता राजेंद्र ¨सह यादव ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका समेत अन्य श्रमिकों के साथ घोर अन्याय हो रहा है। मामूली वेतन पर उन्हें काम लिया जा रहा है जो प्राकृतिक के नियमों के विरुद्ध है। सरकार इस पर अविलंब अमल करें। इस मौके पर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ के अध्यक्ष सीमा कुमारी की अध्यक्षता में सभा आयोजित की गई। सभा में माकपा नेता उमेश ठाकुर, सीपीआई के पुण्यदेव ¨सह, शैलेंद्र कुमार विद्यार्थी,निलम कुमारी, कुमारी सीमा,मधु कुमारी,ममत कुमारी,पुनम देवी, र¨वद्र कुमार ¨सह, रोकसाना बानो आदि लोग मौजूद थे।


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