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जर्जर सड़क नेताओं के लिए बनेगा परेशानी का सबब

अरवल। लोकसभा चुनाव भले ही देश में नई सरकार बनाने के लिए हो रहा हो। लेकिन जनता की उम्मीदें स्थानीय समस्याओं के आसपास ही घूम रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 12:08 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:30 AM (IST)
जर्जर सड़क नेताओं के लिए बनेगा परेशानी का सबब
जर्जर सड़क नेताओं के लिए बनेगा परेशानी का सबब

अरवल। लोकसभा चुनाव भले ही देश में नई सरकार बनाने के लिए हो रहा हो। लेकिन जनता की उम्मीदें स्थानीय समस्याओं के आसपास ही घूम रही हैं। हर दिन जर्जर सड़क पर सफर का सामना करने वाले लोग चाहते हैं कि चुनाव में यह मुद्दा भी गर्माए। कलेर प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में सड़कों की खस्ता हालत जनप्रतिनिधियों की दावे एवं वादे की कहानी बयां कर रहा है। टूटी-फूटी बदहाल सड़कें सच्चाई को आइना दिखाने के लिए काफी है। ग्रामीण इलाकों की सड़कों की हालत इतनी ज्यादा दयनीय हो चुकी है कि इसपर वाहन लेकर चलना तो दूर की बात है पैदल चलना भी मुसीबत से कम नहीं है। इस्माइलपुर कोयल ग्राम पंचायत से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या139 महेंदिया को जोड़ने वाली सड़क की हालत काफी दयनीय हो गई है। जबकि इस सड़क से नाथ खरसा,जमुहारी,कोयल भुपत, खुशडिहरा, गोपालपुर, सरवरपुर आदि गांवों के लोग रोज सफर करते हैं। लेकिन आलम यह है कि इस सड़क में कई जगह गहरे गड्ढे बन चुके हैं। जिस कारण लोगों का सड़क से गुजरना मुश्किल हो गया है। कहीं-कहीं तो इस सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं। इससे केवल वाहनों की ही दुर्गति नहीं हो रही है। बल्कि दोपहिए वाहन चालकों को और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। राहगीर इस रास्ते से जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं। सड़क का खस्ताहाल रोजाना हादसों को न्योता दे रहा है। लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।अजय कुमार, सुनिल कुमार, रमेश यादव, विकास पासवान, रामानुज सिंह, गौतम कुमार आदि लोगों ने बताया कि सड़क के खस्ताहालत के कारण आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। टूटी-फूटी सड़क हर पल हादसों को न्योता दे रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही नेताओं का काफिला शहर और गांवों की ओर निकल पड़ता है। नेता भी विकास की बातें कर लौट जाते हैं। चुनाव खत्म होता है। किसी को जीत तो किसी को हार मिलती है, पर गांवों का विकास और बदहाली वहीं छूट जाता है। उन्होंने कहा की विभिन्न दल के नेता, जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर काम नही करते।

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