अग्निशमन विभाग की अधिकतर गाड़ियां खराब
अरवल। एक ओर अगलगी की बढ़ती घटनाएं चिता का विषय बनता जा रहा है।
अरवल। एक ओर अगलगी की बढ़ती घटनाएं चिता का विषय बनता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इस पर लगाम लगाने वाला विभाग खुद संसाधनों की कमी का दंश झेल रहा है। जिले में एकमात्र फायरब्रिगेड संस्थान संचालित है जिसके भरोसे पूरे जिले में अगलगी की घटनाओं पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी है। फायर स्टेशन में तीन बड़ी गाड़ी और छोटी गाड़ी उपलब्ध है। लेकिन लंबे समय से रिपेयरिग नहीं होने के कारण इन गाड़ियों की स्थिति ठीकठाक नहीं है। एकमात्र बड़ी गाड़ी का ही पंप काम करता है बाकी सभी चार गाड़ियों का पंप फेल हो चुका है। परिणामस्वरूप अन्य गाड़ियों महज शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। गाड़ी में न तो शीशा है नहीं सायरन। ऐसे हालात में गंतव्य स्थानों तक पहुंचने में काफी परेशानी होती है। सोमवार की ही यदि बात करें तो कई स्थानों पर अगलगी की घटनाएं हुई। विभाग के लोग मौके पर पहुंचकर आग पर काबू भी पाए लेकिन जिस तरह से संसाधनों की कमी है उससे बड़ी घटना पर स्थिति भयावह हो सकती है। तीन कर्मचारियों को ही 24 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। कलेर, रामपुरचौरम, कुर्था तथा महेंदिया में फायर विभाग का एक-एक वाहन उपलब्ध है लेकिन उन गाड़ियों में सिर्फ ड्राइवर ही प्रतिनियुक्त है। ऐसी स्थिति में यदि एक से अधिक जगह पर एक ही समय अगलगी की घटना होती है तो विषम स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इतना ही नहीं जिस भवन में अग्निशमन विभाग के लोग रहते हैं उसकी स्थिति भी काफी दयनीय है। बरसात के दिनों में परिसर से लेकर भवन तक बारिश के पानी से भर जाता है। एक तो 24 घंटे मुस्तैद रहना है। कभी कहीं भी अगलगी की घटना हो सकती है। वहीं दूसरी ओर कर्मियों को व्यवस्थित तरीके से रहने का स्थान भी नहीं है।
अग्निशमन विभाग के कार्यालय में पांच गाड़ियां हैं। जिसमें एक बड़ी और एक छोटी गाड़ी चलने योग्य नहीं है। हालांकि खराब गाड़ियों की मरम्मत की बात चल रही है। जो भी संसाधन उपलब्ध है उसके आधार पर हमलोग अपने कर्तव्यों के प्रति मुश्तैदी से डटे रहते हैं। यदि बेहतर संसाधन होता तो निश्चित ही अगलगी की घटनाओं पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। कर्मियों की कमी से भी परेशानी हो रही है।
रामानुज सिंह
जिला अग्निशमन पदाधिकारी