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किसानों की जेब पर डाका डाल रहे खाद दुकानदार

अरवल अरवल जिला प्रशासन भले ही जिले में उर्वरक की कमी न होने और निर्धारित दर पर उसकी

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 12:08 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 12:08 AM (IST)
किसानों की जेब पर डाका डाल रहे खाद दुकानदार
किसानों की जेब पर डाका डाल रहे खाद दुकानदार

अरवल :

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अरवल जिला प्रशासन भले ही जिले में उर्वरक की कमी न होने और निर्धारित दर पर उसकी बिक्री का दम भरता हो, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यहां उर्वरक के लिए किसानों को हर दिन दर-दर भटकना पड़ रहा है। अगर किसी दुकान पर खाद मिल भी जाए तो उसकी कीमत जानकर किसान पीछे हट जाते हैं। एक बैग यूरिया की कीमत किसानों से 450 से लेकर 520 रुपये तक वसूल की जा रही है। आनाकानी करने पर किसानों को बैरंग कर दिया जाता है। पिछले दिनों हुई बारिश के कारण इस समय खेतों में नमी को देखते हुए किसान अपने खेतों में यूरिया का छिड़काव करने के लिए बेचैन हैं। लेकिन किसानों को निर्धारित दर और सुलभ तरीके से यूरिया खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिला कृषि पदाधिकारी कहते हैं कि जिले में अभी डीएपी 261 बैग, यूरिया 284 बैग, एमओपी 27 बैग, एनपीके 192 बैग, एसएसपी 105 बैग उपलब्ध है। इसके उलट दुकानदारों द्वारा किसानों से कहा जाता है कि यूरिया नहीं है। शनिवार को खाद लेने निकले कई किसानों ने बताया कि किसी दुकान पर यूरिया नहीं है। उर्वरक विक्रेता द्वारा अपने चहेते लोगों के नाम पर उपलब्ध खाद को बिक्री दिखाकर फिर उसी खाद को किसानों से अधिक राशि वसूल कर बेच दी जाती है। यहां उर्वरक विक्रेता किसानों की जेब पर डाका डालने का काम कर रहे हैं।

हसनपुर के किसान विनय यादव ने बताया कि पिछले दिनों हुई बारिश के बाद गेहूं की फसलों में छिड़काव के लिए यूरिया खरीद करने गया तो कई दुकानदारों द्वारा बताया गया कि यूरिया खाद समाप्त हो गई है। अपने गांव के समीप हसनपुर कुटिया स्थित दुकान पर गया तो वहां यूरिया का बैग होने की बात कही गई, लेकिन कीमत 266 की जगह 420 रुपये वसूला गया।

हसनपुर की महिला किसान गायत्री देवी ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित मूल्य पर यूरिया खाद दुकानदार द्वारा नहीं दिया जा रहा है, जिन दुकानदारों के पास यूरिया खाद है उनके द्वारा अधिक राशि वसूल कर खाद दी जा रही है। अपने खेतों में यूरिया का छिड़काव करने के लिए मैं बैदराबाद के एक दुकानदार से 410 रुपये देकर खाद लाई हूं। यह तो केवल बानगी है। जिले में सैकड़ों ऐसे किसान हैं, जिनसे निर्धारित दर से दोगुना राशि खाद के एवज में वसूल की जा रही है। खेतों की नमी न चली जाए इसलिए किसान भी ज्यादा राशि देकर खाद लाने को मजबूर हैं।


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