आलू फसल में झुलसा रोग लगने से किसान परेशान
अरवल। जिले में कड़ाके की ठंड और कोहरे की वजह से जनजीवन काफी प्रभावित हुई है।
अरवल। जिले में कड़ाके की ठंड और कोहरे की वजह से जनजीवन काफी प्रभावित हुई है। वहीं ठंड ने किसानों की ¨चता भी बढ़ा दी है। खासकर कोहरे के वजह से किसान ज्यादा परेशान हैं। किसानों का मानना है कि इससे खेतों में लगे फसलों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचेगा।किसान सुरेंद्र कुमार, रमेश यादव, सुनिल कुमार, वसंत, पासवान,जलेश्वर प्रसाद आदि ने कहा कि इन दिनों खेतों में सरसो, चना, मसूर, मटर, खेसारी, धनिया, तिलहन, दलहन की आदि की फसलें लगी है। इन फसलों में बहुत ज्यादा नमी को सहने की क्षमता नहीं होती है। कहा कि जिस तरह पिछले दिनों से ठंड और कोहरा जारी है इससे फसलों को नुकसान होगा। मिट्टी में क्षमता से अधिक नमी दिख रही है। यही नमी इन फसलों के पैदावार पर विपरीत असर डाल सकता है।ज्यादातर आलू की फसल में झूलसा एवं प्याज की नर्सरी में गलका का प्रकोप बढ़ रहा है। स्थानीय स्तर पर किसानों द्वारा काफी प्रयास के बावजूद भी फसल बुरी तरह चपेट में आने लगी है। फिलहाल किसानों के लिए फसलों पर पड़ रहे ठंड का असर परेशानी का आलम बना हुआ है।किसानों ने कहा कि कर्ज लेकर खेतों में इस बार काफी उम्मीद लेकर फसल बोए हैं। अगर फसल नष्ट होती है या उत्पादन कम होती है तो हमें कर्ज चुकाने में भी परेशानी होगी।सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक डॉ सीताराम शर्मा ने फसलों को बचाने के लिए किसानों को सूझाव देते हुए बताया कि आलू, टमाटर एवं प्याज की नर्सरी के खेतों के आस-पास चारों ओर धुआं करें। चार-पांच दिन के अंतराल में शाम के समय खेतों में थोड़ा सा पटवन जरूर करें। उन्होंने बताया कि पत्तियों में झूलसा दिखाई देने के बाद नीचे से गलका का प्रकोप शुरू हो जाता है।'साफ'नामक दवा को एक लीटर पानी में दो ग्राम दवा मिलाकर छिड़काव करने से पाला या झुलसा के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है। इन्होंने बताया कि प्रति बीघा 100 से 120 लीटर पानी लगता है। अगात सरसों की फसल पर अभी कोई असर नहीं पड़ रहा है। परंतु बाकी फसलों के लिए किसानों को तत्परता दिखानी होगी।