बिहार में दबंगों ने सार्वजनिक शौचालय में जड़ा ताला, दो साल से खुले में शौच जाने को मजबूर एक बस्ती
पचास घरों के परिवार को शौचालय जाने से रोक दिया गया है। लोग पिछले दो साल से खुले में शौच जा रहे हैं। शौचालय में दबंगों ने निर्माण के बाद ही ताला जड़ दिया है। घटना अरवल जिले के कलेर प्रखंड के मसूदा महादलित बस्ती का है।
जागरण संवाददाता, अरवल : सुशासन राज में भी दबंगों का आतंक कायम है। दबंगई ऐसी कि पचास घरों के परिवार को शौचालय जाने से रोक दिया गया है। महादलित परिवार के ये लोग पिछले दो साल से खुले में शौच जा रहे हैं। महादलित बस्ती में इनके लिए बनाए गए सार्वजनिक शौचालय में दबंगों ने निर्माण के बाद ही ताला जड़ दिया है। मामला अरवल जिले के कलेर प्रखंड के मसूदा महादलित बस्ती का है। कलेर बीडीओ युनूस सलीम ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करा महादलित बस्ती के सुपुर्द कर दिया था। वहां दो साल से ताला जड़ा है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। न ही किसी ने शिकायत की है। वस्तुस्थिति की जांच को संबंधित पंचायत सेवक को कहा जाएगा।
दलित बस्ती के लोगों ने बताया कि स्वच्छता को लेकर बिहार व केंद्र सरकार निरंतर अभियान चला रही है। शहर से गांव तक को सुंदर व स्वच्छ बनाने में पूरा प्रशासनिक अमला जोरशोर से जुटा है। लेकिन यहां आज तक कोई ताकने नहीं आया। बस्ती में गांव के ही दबंग ठेकेदारों द्वारा सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था। निर्माण के बाद ही ताला लगा दिया गया, जो भी व्यक्ति ताला खुलवाने की बात करता है उन्हें डराया धमकाया जाता है। बावजूद इसके प्रशासन मौन है। शौचालय शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। महादलित बस्ती के लोग उसका उपयोग नहीं कर पाते हैं।
दो लाख के आसपास आई लागत
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण वर्ल्ड लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया था। ताकि लोग खुले में शौच न जाएं। घरों में जगह का अभाव होने के चलते महादलित परिवार ने घरों में शौचालय नहीं बनवाया। तब सरकार ने सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया, जिसकी लागत दो लाख के आसपास थी। दो साल से शौचालय बना है, पर उसका उपयोग लोग नहीं कर पा रहे हैं। लिहाजा, आज भी दलित बस्ती के लोग खुले में शौच जाते हैं। कुल छह शौचालय हैं, जिसमें तीन पुरुष व तीन महिलाओं के लिए हैं।
शौचालय निर्माण में कमीशन का खेल
ग्रामीण रानी देवी, दुखिया देवी, शुभ अगिया देवी, जय राम पासवान, धनंजय चौधरी ने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 12 हजार की राशि में दो हजार रुपये कमीशन लिया जाता है। पहले कमीशन लिया जा रहा है, उसके बाद ही खाते में राशि डाली जा रही है। ऐसे अधिकारियों पर जांच होती है ना ही कोई कार्रवाई।