सन्नाटे के बीच परिजनों की चीख से मर्माहत है जलवइया की गली
स्प्रिट युक्त पेय पदार्थ की सेवन से हुए तीन मजदूरों की मौत के बाद उनके गांवों में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। बीच-बीच में परिजनों की चीख इस सन्नाटे को तोड़ता जरूर है लेकिन इससे स्थिति इस कदर गमगीन हो रही है कि हर किसी की आंखें नम हो जा रही है।
अरवल । स्प्रिट युक्त पेय पदार्थ की सेवन से हुए तीन मजदूरों की मौत के बाद उनके गांवों में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। बीच-बीच में परिजनों की चीख इस सन्नाटे को तोड़ता जरूर है लेकिन इससे स्थिति इस कदर गमगीन हो रही है कि हर किसी की आंखें नम हो जा रही है। जलवइया गांव में एक साथ दो लोगों की मौत तथा कलेर में एक मजदूर की मौत इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। इन गांवों में अधिकारियों व मातम पुरसी करने वाले लोगों का आना जाना भी लगा हुआ है।किसी के बुढ़ापे की लाठी टूट गई तो किसी अबला के सामने बच्चों के पालने की बोझ आ पड़ी है।। एक तो मजदूरी से पेट पालने को विवश यह परिवार पहले से ही आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। दूसरी ओर कमाउ सदस्य की मौत परिजनों को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया है। अपनी मां की चीख को सुन मासूम बच्चे भी बिलखने लगते हैं। जलवइया गांव में मृतक रमेश चंद्रवंशी की पत्नी अनिता देवी अपने चार बच्चों के साथ बिलख रही थी। उसे इस बात की ¨चता है कि अब इन बच्चों का परवरिश कौन करेगा। मातम पुरसी करने आने वाले लोग की ओर उम्मीद भरी निगाह से वह देख रही है। इधर कृष्णा पासवान की मौत की खबर सुनते ही उसका बेटा सुदामा पासवान बेसुध सा हो गया है। । वहीं कृष्णा की बेबा की चीख से वातावरण गमगीन बना हुआ है। इसी तरह की स्थिति कलेर में भी देखी जा रही है। मृतक मजदूर कैल के घर के आसपास पड़ोसियों की भीड़ लगी हुई थी। लोग सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे लेकिन आखिर उनलोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि ढांढस बंधाएं भी तो कैसे। इस परिवार के सामने तो उम्मीद की सारी आशा ही समाप्त हो गई है। घर का कमाउ सदस्य उसका हमेशा-हमेशा के लिए साथ छोड़कर चला गया है।