जीने को पट्टा पर की फूल की खेती, नौबत भूखे मरने की
अरवल पट्टा पर जमीन लेकर फूलों की खेती की थी। अब नौबत भूखे मरने की हो गई। कोरोना के कारण मंदिर और मंडप में ताले लग गए जिसके कारण फूल खेत की शोभा बनकर रहा गया।
अरवल : पट्टा पर जमीन लेकर फूलों की खेती की थी। अब नौबत भूखे मरने की हो गई। कोरोना के कारण मंदिर और मंडप में ताले लग गए जिसके कारण फूल खेत की शोभा बनकर रहा गया।
निघवां गांव का फूल इन मौसम में पटना, गया और आसपास के बाजार में मंडप सजाने और मंदिरों में चढ़ावा के लिए जाता था। लॉकडाउन के कारण खेत में फूल देखकर किसान का कलेजा फट रहा है। कोरोना ने पट्टा का पैसा भी ले डूबा। खेती में जो पूंजी लगी थी वह भी नहीं निकल पाया।
प्रखंड क्षेत्र के निघंवा गांव में फूल की खेती कर रहे किसानो को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। खेतो में फूल लहलाह रहे हैं। खिले फूलों से आस पास के क्षेत्र गुलजार हो रहे है लेकिन इस खेती से जुड़े किसानों की उपज नही बिकने से इनके सामने भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।
निघंवा गांव के दिनेश मालाकर, उपेंद्र भगत,बिदेश्वरी भगत, योगेंद्र भगत लालदेव मालाकर सहित कई लोग कई वर्षों से फूल की खेती कर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले वे किसान जमीन पट्टा पर लेकर फूल की खेती करते हैं। इसकी आमदनी से दिन प्रतिदिन इन सभी के माली हालत में सुधार हो रही थी।लेकिन लोक डाउन से इन सभी की मुश्किलें बढ़ा दी है। निघंवा गांव से उपजे फूल की महक से पटना, गया के फूल मंडी गुलजार होते है ,लेकिन वर्तमान समय मे इसपर ब्रेक लग गया है।लॉकडाउन के कारण विवाह शादी के शुभ मुहर्त पर अंकुश लगने के साथ ही इन सभी के व्यवसाय पर भी ग्रहण लग गया। खेतों में खिले फूल मुरझाने लगे है। जिससे इनकी माली हालत पर असर पर रहा है। व्यवसाय पूरी तरह ठप है। फूल के खेती से जुड़े किसान फूल को तोड़ कर पौधों को बचा रहे है किसानों का कहना है कि वर्तमान समय मे गेंदा फूल की खेती किये है।अगर खिले फूल को नही तोड़ेंगे तो पौधा खराब हो जायेगा। बाजार व व्यवसाय ठप्प होने से कोई खरीददार नही मिल रहा है जिससे फूल बर्बाद हो रहा है। गरीब किसानों को हो रही कठिनाइयों के प्रति प्रशासनिक अधिकारी ध्यान नही दे रहे हैं। इस सबंध में पैक्स अध्यक्ष रवि प्रकाश कहते है कि निघंवा गांव में फूल की खेती से जुड़े लोग काफी गरीब हैं। वे लोग किसानों से नकदी पट्टा पर खेत लेकर फूल की खेती करते हैं। काफी श्रम व पैसे भी लगते हैं लेकिन वर्तमान समय मे इन सभी का मेहनत बेकार हो रहा है । इनके श्रम से उपजे फूल बेकार हो रहे है। पैक्स अध्यक्ष ने जिला प्रशासन व कृषि विभाग से फूल की खेती कर रहे किसानों को हो रहे घाटे की भरपाई करने की मांग की।