ढाई सौ साल पुराना है बसैटी दुर्गा मंदिर, छिपा है अद्भुत रहस्य
अररिया। रानीगंज प्रखंड के बसैटी गांव में स्थित दुर्गामंदिर ढाई सौ साल पुराना है। इस मंदिर में
अररिया। रानीगंज प्रखंड के बसैटी गांव में स्थित दुर्गामंदिर ढाई सौ साल पुराना है। इस मंदिर में कई अदभूत रहस्य छिपा है। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से जो कुछ मांगते हैं उनकी मुराद जरूर पूरी होती है। दर्जनों एकड़ भूमि में फैले से इस मंदिर परिसर में भव्य मेला का आयोजन किया गया है। पहुंसरा की महारानी इंद्रावती ने सबसे पहले यहां कलश स्थापित की थी। महारानी ने इस मंदिर को सैकड़ों एकड़ जमीन दान भी दी थी। इस मंदिर तक आने के लिए उन्होंने पहुंसरा से मंदिर तक आने के लिए बांध भी बनवाया था। आज भी वह बांध कई गांव को जोड़ते हुए इस मंदिर तक पहुंचती है और हजारों लोग इस बांध से होकर बसैटी दुर्गामंदिर तक पहुंचते हैं। कालाबांध के नाम से आज चर्चित है।
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- पैदल चलकर आई थी महारानी
पुजारी सदानंद झा, मंदिर कमेटी के अध्यक्ष रूद्रानंद साह, मनोज कुमार, नंदमोहन झा, विनोद भगत आदि बताते हैं कि इस मंदिर के कई अद्भुत कहानी है। महारानी इंद्रावती ने इस मंदिर को स्थापित किया था। उन्हें कोई संतान नहीं था। महारानी नंगे पाव पैदल चल कर बसैटी स्थति दुर्गामंदिर पूजा करने आती थी। मंदिर तक आने के लिए उन्होंने एक अपने राज दरबार से मंदिर आने के लिए बीच बांध होकर एक कालाबांध बनवाया था। उस जमाने में लोगों को आने जाने का लिए रास्ते की काफी दिक्कत थी। आज भी वह बांध है जिससे होकर दर्जनों गांव के लोग आते जाते हैं। लेकिन आज भी इस बांध की स्थिति काफी जर्जर है। जनप्रतिनिधियों व प्रशासन ने इस ऐतिहासिक सड़क को पक्कीकरण करवाने की जहमत तक नहीं उठाई।
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मेले में लगती है सैकड़ों दुकाने
ग्रामीणों ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से इस मंदिर में भव्य दुर्गा मां का प्रतिमा बनता है। पहले तो रावण वद्ध भी होता था। मंदिर परिसर में हर साल भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। जिसमें मनीहारा, किराना, लकड़ी के रंग बिरंगे सामानों सहित सैकड़ों दुकाने सजती है।