आज के दिन ¨हदी को घोषित किया गया था राष्ट्रभाषा
अररिया। द्विजदेनी स्मारक उच्च विद्यालय परिसर में इंद्रधनुष साहित्य परिषद, फारबिसगंज में ¨हदी दिव
अररिया। द्विजदेनी स्मारक उच्च विद्यालय परिसर में इंद्रधनुष साहित्य परिषद, फारबिसगंज में ¨हदी दिवस पर गीत,गजल और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर्नल अजित दत्त एवं संचालन विनोद कुमार तिवारी ने की। अपने संबोधन में कर्नल अजित दत्त ने कहा कि ¨हदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर के दिन मनाया जाता है। दरअसल 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एकमत से यह निर्णय लिया गया था कि ¨हदी ही भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा ¨हदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष ¨हदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं मांगन मिश्र मार्त्तण्ड, हरिशंकर झा, हर्ष नारायण दास, हेमन्त यादव शशि, विनोद कुमार तिवारी, नागेश्वर प्रसाद मधुप और केदारनाथ कर्ण ने बताया कि वर्ष 1918 में गांधीजी ने ¨हदी साहित्य सम्मेलन में ¨हदी को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा कहा था। भारतीय संविधान के भाग 17 के धारा 343 (1) में इस प्रकार वर्णित है कि संघ की राजभाषा ¨हदी और लिपि देवनागरी होगी। वहीं गैर ¨हदी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। यही कारण है कि ¨हदी में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा। इस मौके पर आयोजित गीत, गजल एवं काव्य गोष्ठी में उमाकान्त दास, जगत नारायण दास, हर्ष नारायण दास, हसमत सिद्दीकी, बेगाना सारणवी, विनोद बंसल, फुलेश्वर प्रसाद मोदी आदि ने अपनी रचनाओं से कार्यक्रम में शमां बांध दिया। सभी ने मिलकर हम सब का अभिमान है ¨हदी, भारत की शान है ¨हदी, ¨हदी में पत्राचार हो, ¨हदी में हर व्यवहार हो, बोलचाल में ¨हदी ही अभिव्यक्ति का आधार हो, जबतक आपके पास राष्ट्रभाषा नहीं - आपका कोई राष्ट्र भी नहीं, राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है, ¨हदी से ¨हदुस्तान है, तभी तो ¨हदी हमारी शान है के नारे भी बुलंद किया।