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कहीं चुनावी तिकड़म तो कहीं सादगी के साथ विकास के किए जा रहे वादे

संवाद सूत्र त्रिवेणीगंज (सुपौल) जैसे-जैसे पंचायत चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है वैसे ही कह

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 12:33 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 12:33 AM (IST)
कहीं चुनावी तिकड़म तो कहीं सादगी के साथ विकास के किए जा रहे वादे
कहीं चुनावी तिकड़म तो कहीं सादगी के साथ विकास के किए जा रहे वादे

संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल): जैसे-जैसे पंचायत चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है वैसे ही कहीं पर चुनावी तिकड़म तो कहीं सादगी के साथ विकास के वायदे को हथियार के रूप में अपनाया जा रहा है। कुछ ऐसे भी प्रत्याशी हैं जो सहयोग का आश्वासन देकर जनता को गोलबंद कर रहे हैं। इसके इतर गांव के लोग जीत हार का आकलन करते हुए ओपिनियन पोल भी बना रहे हैं। निवर्तमान जनप्रतिनिधियों को पूर्ण रूपेण मतदाताओं पर भरोसा दिख रहा है। वहीं चुनावी तापमान के बीच कुछ लोग जातीय समीकरण बनाकर चुनाव का नतीजा निकालने में मशगूल दिख रहे हैं। ऐसे प्रत्याशियों के समर्थक अपने-अपने हिसाब से लोगों के समीप थोथी दलील पेश करते हुए अपने को जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवार घोषित करने में लगे हैं। निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के समर्थक अपने-अपने ग्राम पंचायत में हुए विभिन्न विकास कार्यों को गिनाकर आम जनता को अपने पाले में लाने की कोशिश में लगे हुए हैं। तो दूसरी तरफ उनके विपक्षी पांच साल के विकास योजनाओं की पोल खोलने पर आतुर हैं।

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सरपंच के अधिकारों में इजाफा

इससे पहले सरपंच को ग्राम कचहरी के माध्यम से गांव के छोटे-मोटे झगड़ा को सुलझाने तक की शक्ति मिली हुई थी। अब सरपंच के इस अधिकार में इजाफा किया गया है अब इनके जिम्मे सड़कों के रखरखाव से लेकर सिचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ाने जैसी जिम्मेवारी होगी।

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वार्ड सदस्य पद भी होड़ में शामिल

इस बार के पंचायत चुनाव में मुखिया और सरपंच के बाद किसी पद को लेकर मारामारी है तो वह है वार्ड सदस्य। दरअसल गत पंचवर्षीय काल में सरकार ने अपनी ड्रीम योजना हर गली पक्की सड़क योजना में वार्ड सदस्यों की भूमिका सीधे तौर पर सुनिश्चित की थी। वार्ड सदस्यों को मिले इस अधिकार से इस चुनाव में वार्ड सदस्य बनने को लेकर भी काफी होड़ मची हुई है। पंचायत चुनाव से पहले पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से मुखिया व सरपंच के दायित्वों का निर्धारण कर उनकी जिम्मेदारी तय करते हुए निर्देशित किया है कि अब नए नियम के मुताबिक मुखिया को जहां ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार होगा, वहीं इनके जिम्मे विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की भी जिम्मेवारी होगी। इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी होगी। इसके साथ ही सरपंच के जिम्मे गांव में सड़कों के रख-रखाव से लेकर सिचाई की व्यवस्था, पशुपालन, व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्य भी शामिल होंगे।

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आज नगद कल उधार इस बार

पंचायत चुनाव में मतदाता आज नगद और कल उधार वाली कहावत को चरितार्थ करने पर तुले हैं। पांच साल तक सरकारी राशि का बंदरबाट करने वाले कई प्रत्याशियों से जनता हिसाब चुकता करने के मूड में हैं। जनता की मलाई (विकास कार्य) काटकर अपना पेट भरने वाले ऐसे प्रत्याशियों को धूल चटाने की तैयारी जारी है। इधर संभावित प्रत्याशी जनता की चुप्पी से परेशान हैं और जनता चुपचाप संभावित प्रत्याशियों द्वारा बदले जा रहे रंग का तमाशा देख रही है।


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