13 साल, 31 करोड़ और अधूरा सपना, कभी चचरी तो कभी नाव के सहारे हिचकोले खा रही जिंदगी
अररिया जिले के सिकटी और कुर्साकांटा को जोड़ने वाली डोम सड़क पर बकरा नदी के पड़रिया घाट का पुल 13 साल बाद भी अधूरा है। सिकटी के लोग इसे चुनावी मुद्दा मानत ...और पढ़ें

बिनोद कुमार झा मुन्ना, सिकटी (अररिया)। जिले के सिकटी और कुर्साकांटा प्रखंड को जोड़ने वाली ऐतिहासिक डोम सड़क पर बकरा नदी के पड़रिया घाट पर बना पुल अब तक दोनों किनारों को नहीं जोड़ सका है। सिकटी विधानसभा क्षेत्र के लोग इसको चुनाव में बड़ा मुद्दा बताते हैं।
उनका कहना है कि 13 साल बाद भी उनका पुल का सपना अधूरा ही है। उनके नसीब में कभी नाव तो कभी चचरी है। इसके बन जाने से नदी के दोनों ओर बसे सिकटी प्रखंड के लोगों का जुड़ाव कुर्साकांटा से हो जाता। यह बकरा नदी सिकटी प्रखंड के कौआकोह और ठेंगापुर पंचायत को दो भागों में बांटती है। जिसमें ठेंगापुर पंचायत का तिरा नदी के पश्चित तो खारदह गांव पूरब में पड़ा है।
इसी तरह कौआकोह पंचायत का पड़रिया गांव नदी के दोनों तरफ पड़ता है। इसके बनने से सिकटी, कुर्साकांटा व पलासी तक के लोगों को फारबिसगंज तक का सफर आसान हो जाता। प्रखंड के तीरा खारदह, पड़रिया, नेमुआ पीपरा, डेंगरी, मसुंडा, भिड़भिड़ी, बरदाहा, डेढुआ सहित दर्जनों गांवों के लोगों को इससे फायदा होता।
नदी की बदलती गई धारा और बढ़ती गई पुल की लंबाई
सिकटी प्रखंड को कुर्साकांटा से जोडने वाली ऐतिहासिक डोम सड़क पर बकरा नदी में पड़रिया घाट पर पुल निर्माण कार्य का लंबा इतिहास रहा। यहां 13 वर्षों में अलग-अलग जगहों पर बने पुल पर करीब 31 करोड़ रूपए खर्च हए। इसके बाद भी पुल से आवागमन सपना बनकर रह गया।
पूर्व में पुल निर्माण निगम द्वारा बना पुल अपनी जगह खड़ा है, लेकिन बाद में बने पुल के एक पाइल का दो स्पैन नदी में गिरकर ध्वस्त हो गया था। तीन खंडो में इस घाट पर पुल निर्माण का काम हुआ।
पहले खंड में 2012 में 11 करोड़ की लागत से पुल निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ। पांच स्पैन का पुल बनने के बाद नदी पुल को छोड़कर पश्चिम खिसक गई। भौगोलिक स्थिति को देखते हुए दूसरे खंड में यहां और दो स्पैन को जोड़ने के लिए 12 करोड़ की राशि दी गई।
साल 2019 में जब यह पुल बनकर तैयार हुआ तो एक बार फिर नदी ने धारा बदल ली और वहां से और पश्चिम खिसक गई। पुराना पुल में सिकटी की ओर से एप्रोच बना था, जबकि नदी के पश्चिम खिसक जाने से कुर्साकांटा की ओर एप्रोच नहीं बना और आज भी बाढ़ बरसात में यहां आवागमन के लिए नाव ही सहारा रहा।
पुराने पुल से 50 मीटर पश्चिम बना था ध्वस्त पुल
बकरा नदी के लगातार धारा परिवर्तन से जब पुल होकर आवागमन की स्थिति नहीं बनी तो तीसरे खंड में पहले वाले पुल से करीब पचास मीटर पश्चिम हटकर साल 2021 में सात करोड़ उन्नासी लाख साठ हजार की लागत से 182 मीटर लंबे नये पुल तथा 200 मीटर एप्रोच पथ बनाने की स्वीकृति ग्रामीण कार्य विभाग अररिया द्वारा दिया गया।
जिसको जून 2021 से प्रारंभ होकर जून 2022 में पूरा करना था। लेकिन केवल पुल निर्माण का कार्य जून 2023 में पूरा हुआ। इसके बाद दो सौ मीटर एप्रोच पथ एक साल में नहीं बन पाया। जिसके कारण इस होकर आवागमन बहाल नहीं हो पाया।
मई 24 में स्थानीय विधायक विजय कुमार मंडल ने स्थल का निरीक्षण कर तत्काल एप्रोच पथ बनाकर आवागमन बहाल करने का निर्देश दिया था।
इसी बीच ग्रामीण कार्य विभाग अररिया द्वारा 7.79 करोड़ की लागत से बना पुल चालू होने के पहले ही 18 जून, 2024 को ध्वस्त हो गया था। इसके बाद से अब तक यह पुल उसी स्थिति में है।
एक साल बाद भी पुल के निर्माण की दिशा में न तो विभाग की और न ही जनप्रतिनिधियों की नींद खुली है। इन दोनों के बीच में पुल होकर नदी पार करने का सपना संजोए लोग कभी चचरी तो कभी नाव पर हिचकोले खा आ जा रहे हैं।
बकरा नदी के पडरिया घाट पर पुल के पुन निर्माण का मामला सरकार के ध्यान में दिया गया है। विभाग द्वारा मामला न्यायालय में चले जाने की बात बताने से तत्काल इस पर विभाग द्वारा कुछ करना संभव नहीं है। विभाग इसके पुननिर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। हर हाल में यह पुल बनेगा। लोगों की मांग पर अभी तीरा घाट पर 64 करोड़ की लागत से नये पुल निर्माण का निविदा हो चुका है।जल्द ही इसका शिलान्यास किया जाएगा।- विजय कुमार मंडल,आपदा प्रबंधन मंत्री

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