जयंती पर साहित्यकारों को याद किया
अररिया। इंद्रधनुष साहित्य परिषद फारबिसगंज के द्वारा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और फिराक गो
अररिया। इंद्रधनुष साहित्य परिषद फारबिसगंज के द्वारा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और फिराक गोरखपुरी की जयंती द्विजदेनी उच्च विद्यालय परिसर में आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता मांगन मिश्र मार्तण्ड ने की। साहित्यकार द्वय के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पण के पश्चात प्रो. पीपी साह, हेमंत यादव, महेन्द्र नाथ झा, बेगाना सारणवी, बलराम बनर्जी, हसमत सिद्दीकी और विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि आचार्य द्विवेदी का जन्म अगस्त 1907 ई. को बलिया, यूपी में हुआ था। वे दस वर्षो तक गुरूदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर के सान्निध्य में रहकर शांति निकेतन में अध्यापन कार्य से जुड़े रहे। उनकी प्रमुख कृतियों में हिन्दी साहित्य का इतिहास, भारतीय धर्म साधना, सूरदास, कबीर, अशोक के फूल, कल्पलता, पुनर्नवा आदि है। वहीं उर्दू के प्रसिद्ध रचनाकार फिराक गोरखपुरी के बारे में बताया कि उनका मूलनाम रघुपति सहाय था। वे निर्भिक शायर थे तथा उनकी शायरी उच्चकोटि की मानी जाती है। उनकी कृतियों मे रूहे कायनात, जुगनू, गजालिस्तान, गुलबाग, आधी रात आदि प्रमुख हैं। उन्हें गुल ए नगमा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ और पद्मभूशण से नवाजा गया था। मौके पर धीरेन्द्र कुमार, अताउर्रहमान, दीनानाथ उपाध्याय, नजरे आलम, कीत्र्यानन्द राय, षिवनारायण चौधरी, भुवनेष्वर लाल दास, सुभाश चन्द्र पासवान, नकुल डे, एमएस आलम, गोविन्द नारायण दास, देवेन्द्र कुमार दास आदि भी उपस्थित थे।