प्राकृतिक ,सांस्कृतिक व स्वच्छता का अनूठा संगम है छठ पर्व
कमर आलम अररिया लोक आस्था का महापर्व छठ अनूठा है । जिसमे प्राकृतिक सांस्कृतिक और
कमर आलम ,अररिया
लोक आस्था का महापर्व छठ अनूठा है । जिसमे प्राकृतिक ,सांस्कृतिक और स्वच्छता का अनुपम संगम देखने को मिलता है ।छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा पूजा माना जाता है । जिसमे छठ वर्ती डूबते और उगते भगवान भास्कर को अर्ध्य देकर पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि लोग हमेशा उगते सूर्य की पूजा करते है लेकिन छठ पूजा मे उगते और डूबते दोनों सूर्य की पूजा की जाती है । इस पूजा में पुरोहित की जरुरत नही होती है । छठ वर्ती पूजा के दौरान सारे नियम कानून और धार्मिक मान्यताओं का पालन खुद करते है ।जिसके लिए नदी ,नहर ,तालाब और जलाशय का होना जरुरी होता है ।क्योंकि भगवान भास्कर को इसी जगह से अघ्ध्य दिया जाता है । ऐसे तो पूरे देश व विदेशों में अब मनाया जाता है लेकिन बिहार में खास तौर से मनाए जाने वाले छठ पूजा की अपनी ऐतिहासिक ,संस्कृतिक और धार्मिक महत्व है ।बांस या पीतल की सूप मे लोटा ,थाली ,ग्लास ,साड़ी कुर्ता पायजामा ,नारियल ,गन्ना,हल्दी ,अदरक ,सुथनी ,शकर कन्द ,नाशपाती ,केला ,डगरा ,नीम्बू ,पान सुपारी ,सिन्दूर ,कपूर ,कुमकुंम ,चंदन ,ठेकुआ,माल पूरी ,खजूर ,सिन्घारा ,मूली आदि रखा जाता है ।इस पर्व छठ मैया की आराधना और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है । साथ ही छठ घाट पर छठ गीत से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है ।छठ पूजा की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इसमें सफाई और स्वच्छता पर पूरा ध्यान दिया जाता है ।इसलिए कहा जाता है कि स्वच्छता का प्रतीक भी है छठ पूजा ।ऐसी मान्यता है की इस छठ पूजा के दौरान वर्तियों द्वारा मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती है । अररिया में तो मुस्लिम समुदाय के लोग भी इसमें काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है और अपने हिन्दू भाईयों के यहां से आए परसाद को ग्रहण करते है ।विभिन्न छठ घाटों पर हिन्दू मुस्लिम एकता और आपसी प्रेम देखने को मिलता है और यही आपसी प्रेम और सदभाव अररिया की पहचान है ।