विधानसभा चुनाव में छुटभैये नेताओं की कट रही चांदी
अररिया। रानीगंज विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित है। इस सीट पर जदयू का कब्जा है। 2015 के विधानसभा चुन
अररिया। रानीगंज विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित है। इस सीट पर जदयू का कब्जा है। 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ सीट बंटवारे में यह सीट जदयू के खाते में चली गई थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू एनडीए में शामिल है। 2015 से पहले के चुनावों में यहां से भाजपा व राजद के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी और बिहार सरकार में मंत्री तक का सफर तय किया है। लेकिन, इस बार अभी तक टिकट के बंटवारे नहीं होने से क्षेत्र में छुटभैये नेता भी अपने को दावेदार बता रहे हैं। कोई अपने को एनडीए तो कोई महागठबंधन के उम्मीदवार बताकर लोगों से अपने-अपने पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं।
रानीगंज विधानसभा क्षेत्र से कुछ नेताओं ने अपने-अपने चहेते को टिकट दिलाने के चक्कर में लगे हैं।
मतदाताओं में चर्चा है कि जिसको पहले कभी नहीं देखा वह अपने को एनडीए व महागठबंधन के उम्मीदवार बता रहे हैं। जिले के सभी विधानसभा क्षेत्र के महादलित नेता रानीगंज विधानसभा में भाग्य अजमाने की जुगत भीड़ा रहे हैं। यहां तक कि बगल के पूर्णिया जिले के एक प्रत्याशी ने भी रानीगंज में दस्तक दे दिया है। हालांकि घरेलू राजनीति की वजह से उसे पार्टी से निकाल दिया गया है। इससे वह खूब बौखलाए हुए हैं और स्वतंत्र उम्मीदवार होने की घोषणा तक कर दी है। अब तो कुछ ही दिनों की बात है गेंद किसके पाले में गिरता है। वैसे जनता का फैसला ही अटल फैसला है।