रमजान में इबादत करने से मिलती है जन्नत
अररिया। रमजान का तीसरा अशरा शुक्रवार से शुरू हो गया है कहा जाता है कि इस अशरे मे
अररिया।
रमजान का तीसरा अशरा शुक्रवार से शुरू हो गया है कहा जाता है कि इस अशरे में इबादत करने से जन्नत मिलती है। रमजान का तीसरा अशरा शुक्रवार से शुरू हो गया रमजान का तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से खुद को बचाने का होता है।
इसमें इबादत करने से लोगों के गुनाह माफ हो जाते हैं। वहीं अल्लाह इबादत करने वालों के लिए जन्नत के द्वार खोल देते हैं।
इसी अशरे में एतकाफ भी किया जाता है। जो गुनाहों के माफ होने का एक बड़ा जरिया है। रमजान में 20 वें रोजे के मगरिब से शुरू होकर चांद रात तक मस्जिद में रहकर अल्लाह की इबादत करने एतकाफ कहलाता है
कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने दस दिनों का एतकाफ किया, उसने दो हज और दो उमरे के बराबर शवाब हासिल किया।
हदीस शरीफ में है कि जिस बस्ती की मस्जिद में कोई शख्स एतकाफ में बैठकर अल्लाह तआला की इबादत करे तो उस बस्ती के लोगों के गुनाहों को भी माफ कर दिया जाता है।
इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है। जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है। अशरा अरबी का दस नंबर होता है। इस तरह रमजान के पहले दस दिन पहला अशरा, दूसरे 10 दिन दूसरा अशरा और तीसरे दिन तीसरा अशरा होता है। जिसमें पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से खुद को बचाने का होता है।