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जलनिकाय संरक्षण का आइकॉन बनेगा अररिया का खमगड़ा गांव

अररिया। जल निकायों को बचाने के लिए जागरण का अभियान अररिया प्रखंड के जुमआ पंचायत के खमगड़ा गांव को प्र

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 08:17 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 08:17 PM (IST)
जलनिकाय संरक्षण का आइकॉन बनेगा अररिया का खमगड़ा गांव
जलनिकाय संरक्षण का आइकॉन बनेगा अररिया का खमगड़ा गांव

अररिया। जल निकायों को बचाने के लिए जागरण का अभियान अररिया प्रखंड के जुमआ पंचायत के खमगड़ा गांव को प्रेरित करने में सफल रहा। गत वर्ष के अभियान से प्रभावित होकर एक दर्जन से अधिक तालाब मालिक जल संरक्षण को आत्मनिर्भरता का प्रयाय मानने लगे हैं। इस गांव में केवीके के कृषि वैज्ञानिक जल संरक्षण से आमदनी के गुर बता रहे तो मत्स्य पालन विभाग तालाबों और पोखरों को जीवनदान देने में सहयोग कर रहा है। तालाब मालिक प्रमोद कुमार झा, अभिषेक आनंद, डॉक्टर अजय कुमार झा, संतोष कुमार झा, नवीन आनंद ने कहा कि जल सरंक्षण से पृथ्वी हरी-भरी रहेगी और तालाब में जल संचल करने वाले मालामाल हो रहे हैं। इसी गांव के विनोद कुमार झा, रमेश झा, शोभा झा, अशोक झा, महेंद्र मंडल, संदानंद मंडल भी तालाब में जल का संचय कर रहे हैं।

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गोपाल ऋषिदेव, नंदू ऋषिदेव व ललित मंडल ने बताया कि वे लोग जागरण की मुहिम तालाब बचाओ अभियान से प्रेरित होकर तालाब में ही अपना जीवन देख रहे हैं। वहीं जागरण से बातचीत में खमगड़ा तालाब स्वामियों ने बताया कि तालाब को अनुत्पादक मानकर उपेक्षा की जा रही थी। जागरण का जल संरक्षण मुहिम, जिला मत्स्य विभाग का तालाब को जीवनदान देने के लिए अनुदान और केवीके के वैज्ञानिक आरके जलज द्वारा जल संरक्षण से अररिया जिले को हो रही 200 लाख की आमदनी की जानकारी देने से आंख खुल गई। जिला मत्स्य विभाग हमारे गांव के एक दर्जन से अधिक तालाबों को गोद लिया है। यह जानकारी देते समय भू- स्वामी प्रमोद कुमार झा, मृदा वैज्ञानिक अनिल कुमार, वीके मिश्रा व मत्स्य वैज्ञानिक आरके जलज भी मौजूद थे। मौके पर जेसीबी से पोखर को गहरा किया जा रहा था।

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तीन सौ लाख करोड़ रुपये मूल्य की मछली उत्पादन की क्षमता अररिया की है, जो तालाबों के अस्तित्व को बचाकर और जल संरक्षण से ही संभव है। इस समय दो सौ लाख करोड़ रुपये मूल्य का मछली का उत्पादन जल संरक्षण से हो रहा है। चार सौ करोड़ मूल्य की मछली उत्पादन का अतिरिक्त लक्ष्य है। इसके लिए तालाब स्वामियों के जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

--आरके जलज, केवीके र्वैज्ञानिक, अररिया।

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जल संरक्षण के प्रति तालाब स्वामियों के जागरूक नहीं से प्रतिवर्ष दो हजार टन मछली दूसरे जिलों या प्रदेशों से अररिया में भेजी जा रही है। जिला को प्रतिवर्ष 12 हजार टन मछली की जरुरत है। वहीं इस समय जल संरक्षण से 10 हजार टन मछली का उत्पादन हो रहा है। जिले में 15 हजार टन से अधिक मछली का उत्पादन किया जा सकता है। इसी मुहिम के तहत खमगड़ा गांव के 12 तालाबों को गोद लिया गया है।

--लाल बहादुर साफी

जिला मत्स्य पालन अधिकारी, अररिया


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