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दत्तक गृह के कुपोषित बच्चों की विधिक सेवा प्राधिकारी ने की जांच

अररिया। दत्तक गृह अररिया के पांच कुपोषित बच्चों का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बुधवार

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 02:07 AM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 02:07 AM (IST)
दत्तक गृह के कुपोषित बच्चों की विधिक सेवा प्राधिकारी ने की जांच
दत्तक गृह के कुपोषित बच्चों की विधिक सेवा प्राधिकारी ने की जांच

अररिया। दत्तक गृह अररिया के पांच कुपोषित बच्चों का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बुधवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के जज संजीव कुमार और पैनल अधिवक्ता विभा झा ने जिला मुख्यालय के शिवपुरी स्थित दत्तक गृह और सदर अस्पताल के पुनर्वास केंद्र पहुँच कर मामले की जांच की। वहीं बच्चों के रख रखाव के लिए भी सदर अस्पताल में आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इससे पहले सोमवार को डीएम हिमांशू शर्मा और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉक्टर आरजी आनन्द के द्वारा दत्तक गृह की जांच की गई जिसमें वहाँ घोर अनियमितता पाई गई थी। साथ हीं 06 बच्चों में पांच बच्चे कुपोषित पाए गए जिसे डीएम के आदेश पर सदर अस्पताल के पुनर्वास केंद्र में उपचार के लिए लाया गया। वहीं दत्तक गृह का मामला गरमाता देख संस्था की को ऑर्डिनेटर कुमारी सुमन और चाइल्ड डेवलपमेंट सोसाइटी के डायरेक्टर राजू दुदेहरिया बुधवार को एक दूसरे पर आरोप लगाते न•ार आए। मिली जानकारी के अनुसार दत्तक गृह में हर महीने में दो बार पीएचसी के चिकित्सक बच्चों की जांच हेतु आते थे और अक्टूबर में भी दो बार बच्चों की जांच की गई इसके बाद भी बच्चे कुपोषण के शिकार थे जो चिकित्सक के जाँच पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। वहीं संस्था के को- ऑर्डिनेटर कुमारी सुमन ने बताया की दत्तक गृह में साल भर पूर्व एनजीओ के लोगों के द्वारा बच्चों से मारपीट की जाती थी और नियमित रूप से भोजन भी नही दिया जाता था क्योंकि एनजीओ के सदस्यों द्वारा समाज कल्याण विभाग द्वारा दी गई मदद का दस परसेंट जबरदस्ती ले लिया जाता था। साथ ही संस्था में कार्यरत 06 दाई और एक सामाजिक कार्यकर्ता पर भी मनमाने तरीके से दबाब में काम कराने का आरोप लगाया गया जिसके विरुद्ध दत्तक गृह के कर्मचारियों ने पूर्व में आवेदन भी दिया था। दूसरी और विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान के निदेशक राजू दुधरिया ने सारे आरोपो को गलत बताते हुए कुमारी सुमन पर संस्था का काम लंबित रखने और कार्य मे लापरवाही का आरोप लगाया। वितीय अनियमितता की बात पर संस्था के निदेशक ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया ।

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