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गरीब हैं तो भूल जाइए इलाज कराना

अररिया। गरीब हैं तो भूल जाइए इलाज कराना। चिकित्सकों की फीस और जांच आदि में काफी रुपये

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 12:47 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 12:47 AM (IST)
गरीब हैं तो भूल जाइए इलाज कराना
गरीब हैं तो भूल जाइए इलाज कराना

अररिया। गरीब हैं तो भूल जाइए इलाज कराना। चिकित्सकों की फीस और जांच आदि में काफी रुपये खर्च हो रहे हैं। इस कारण गरीब आदमी अपना इलाज कराने के बारे में सोच भी नहीं सकता है। घुटने में मोच आने पर इलाज कराने में दो लाख रुपये लग रहे हैं। हड्डी टूट जाने पर सात लाख रुपये लग रहे हैं। ऐसा दर्द झेल रहे अधिकांश लोग मोटरसाइकिल और आटों से गिरकर जीते जी मौत से बढ़कर बड़ी पीड़ा झेलते हैं। इनकी पीड़ा सुनिए, अनजाने मोटरसाइकिल से गिरने या अन्य किसी भी तरह से पैर या हाथ की हड्डी टूट गई तो उनकी खैर नहीं । इलाज के नाम पर दवाएं कम परन्तु जांच के नाम उनका जो दोहन किया जाता है,जांच में जो खर्च होते हैं, वह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए संभव नहीं। आइये सुनते हैं पैर की हड्डी टूटने वाले एक भुक्तभोगी की आपबीती कहानी। कुर्साकांटा प्रखंड मुख्यालय निवासी( नाम नहीं बताते हैं) एक व्यक्ति सपरिवार बाइक से अपने संबंधी के यहां तीन महीने पहले जा रहे थे । रास्ते मे बकरा नदी पार करने के लिए बांस के बने चचरी पार कर रहे थे। परिवार को नीचे उतार कर बाइक से अकेले चचरी पार करने के क्रम में वे बाइक लेकर नदी में गिर पड़े और उनके बाएं घुटने की हड्डी टूट गई । आनन- फानन में उसे कुर्साकांटा पीएचसी उन्हें लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद अररिया रेफर कर दिया गया। एक निजी क्लीनिक में एक्सरे कराने के बाद डॉक्टर हड्डी में केवल चोट लगने की बातें कहकर कच्चा प्लास्टर कराकर घर भेज दिया। दर्द से परेशान वह पूर्णिया स्थित एक हड्डी रोग विशेषज्ञ से इलाज कराने लगे, जहां एक्सरे सहित कई प्रकार की जांच कराई गई। जांचोपरांत डॉक्टर ने ठेंगुना की हड्डी दोनों तरफ से टूटने की बातें कही और प्लास्टर किया। फीस के अलावा कई तरह के जांच, दवाई और प्लास्टर करने की मोटी रकम पहले जमा करवा ली । आज तीन महीने के उपरांत वे कई बार डॉक्टर से मिले और अपनी समस्या बताई, हर बार उनसे फीस वसूल की गई और पुन: जांच भी करवाई गई। उन्होंने बताया कि अबतक लाखों रुपये उपचार में खर्च हो चुका है लेकिन पैर में समस्या अब भी बनी हुई है । उन्होंने कहा कि इलाज के लिए उन्हें अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ी। आज भी उनका उपचार इसलिए चल रहा है। वे ठीक से चल नहीं पा रहे हैं । बाइक चलाने की स्थिति में भी नहीं हैं।

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-केस स्टडी-2 नरपतगंज प्रखंड के पतेहपुर निवासी 54 वर्षीय रामदेव का 24 नवंबर को मोटरसाइकिल से जाते समय कुत्ता आगे आ गया। वे गिर पड़े। इस घटना में उनका दायां पैर का पंजा टूट गया। पटना में इलाज हुआ। सर्जरी करानी पड़ी। ठीक होने में आठ महीने लगे और आठ लाख रुपये का खर्च हुआ। कब तक ठीक हो जाएंगे, डॉक्टर इसकी गारंटी नहीं लेते हैं।

--केस स्टडी-3

अररिया नगर परिषद के आजाद नगर निवासी अपने घर के सामने एक बच्चे को पकड़ने के प्रयास में फिसल गए। उनका बायां हाथ टूट गया। दो महीने तक प्लस्टर रहा। अब फिजियोथेरेपी चल रहा है। एक लाख रुपये से अधिक रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन हाथ नहीं उठ रहा है। उन्होंने कहा कि सावधानी हटते ही दुर्घटना होगी और भुक्तभोगी का परिवार कंगाल हो जाएगा।


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