कुपोषित बच्चों के भविष्य के प्रति स्वास्थ विभाग उदासीन
अररिया। जिले के कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से चिन्हित कर उनके पोष
अररिया। जिले के कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से चिन्हित कर उनके पोषण करने के लिए एनआरसी (पोषण पुनर्वास केन्द्र) लाया तो जाता है, लेकिन यहां से छृट्टी होने के बाद इन बच्चों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। एनआरसी में बच्चे को भर्ती के समय का वजन जब तक डेढ़ गुना नही होता तब तक नही छोड़ा जा सकता है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अररिया के एनआरसी में पिछले छह महीने का भर्ती देखें तो जिले भर से मई माह में -44 बच्चे कुपोषित पाया गया था जबकि जून महीने में -29, जुलाई-31, अगस्त- 26 ,सितंबर-25 तथा अक्टूबर में 27 कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया। इन बच्चों में 70 फीसदी ऐसे हैं जिनको 15 दिन बाद पहली बार भी फॉलोअप के लिए नहीं लाया गया है। इस स्थिति के कारण इन कुपोषितों की हालत में सुधार नहीं हो पा रहा है। जबकि जिला अस्पताल प्रबंधन एनआरसी में आ चुके कुपोषितों का तय तिथि पर फॉलोअप कराने के लिए आशा कर्मी को निर्देशित है। कुपोषण की बढ़ती संख्या के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र से इन कुपोषितों को फॉलोअप के लिए एनआरसी तक नहीं लाया जाता है। पिछले चार माह के दौरान जिला अस्पताल एनआरसी में लगभग 100 से ज्यादा कुपोषित बच्चों को लाया जा चुका है जिनमें कई बच्चे ऐसे हैं जो यहां आने के बाद फॉलोअप तक के लिए भी नहीं लाया गया।
इनसेट:
------ लाने के मिलते हैं रुपये, फिर भी लापरवाही- -- कुपोषित बच्चों को चयनित करके या पहले लाए गए कुपोषितों को फॉलोअप के लिए एनआरसी तक लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं की है। इन कार्यकर्ताओं को सरकार बच्चों को लाने ले जाने पर 250 रुपये भी दे रही है। इसके बाद भी इन कुपोषितों के प्रति अनदेखी की जा रही है। एनआरसी प्रबंधन ने सितंबर माह में लगभग 100 बच्चों को फॉलोअप के लिए चयनित किया था जिनमें से मात्र 32 बच्चे फॉलोअप के लिए लाए गए। पिछले महीने में पोषित करने के लिए एनआरसी लाए गए लेकिन कुपोषितों में कई ऐसे हैं जिनके 4-4 फॉलोअप तक नहीं हो पाए हैं।
-----------कोट------
- एनआरसी में कुपोषितों का फॉलोअप मात्र 20 फीसद हो पा रहा है। इस संबंध में हम सभी आशा को शख्त निर्देश भी दे चुके हैं हैं। इसके बाद भी बच्चों का फॉलोअप के लिए एनआरसी नहीं लाया जाना बड़ी समस्या है। लापरवाही बरतने वाले आशा कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. रामाधार चौधरी सिविल सर्जन,
अनुमंडल हॉस्पिटल,अररिया