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काले बादल देख ही सहम जाते हैं बकरा व नूना किनारे रहने वाले लोग

अररिया। बकरा व नूना नदी के समीप रहने वाले गांव के लोग काले बादल देख कर ही सहम जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर नेपाल व अररिया क्षेत्र में तेज बारिश होती है तो बकरा व नूना नदी उफना जाती है। इसके बाद लोगों के घरों व गांव में पानी भर जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 12:01 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 12:01 AM (IST)
काले बादल देख ही सहम जाते हैं बकरा व नूना किनारे रहने वाले लोग
काले बादल देख ही सहम जाते हैं बकरा व नूना किनारे रहने वाले लोग

काले बादल देख ही सहम जाते हैं बकरा व नूना किनारे रहने वाले लोग

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अररिया। बकरा व नूना नदी के समीप रहने वाले गांव के लोग काले बादल देख कर ही सहम जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर नेपाल व अररिया क्षेत्र में तेज बारिश होती है तो बकरा व नूना नदी उफना जाती है। इसके बाद लोगों के घरों व गांव में पानी भर जाता है। प्रभारी डीएम अनिल कुमार का कहना है कि बाढ़ के पूर्व ही प्रशासनिक तैयारी चल रही है। बाढ़ के समय ऊंचे स्थानों पर रखने के लिए स्थल चयन का काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं, अब तो बाढ़ के पूर्व लोगों को सायरन बजाकर सूचना दी जाएगी, लेकिन केवल बाढ़ आने की सूचना से इन नदियों के किनारे बसे गांव में बाढ़ की राहत कैसे संभव हो सकता है। बाढ़ पूर्व प्रशासनिक तैयारी महज सरकारी महकमे तक ही सुनी जाती है। धरातल पर इसके बचाव का कोई ठोस प्रबंध नही दिखता रहा है।जिसके कारण इस इलाके के लोग हर साल बाढ़ से प्रभावित होते रहते हैं। प्रशासनिक तैयारी की बात करें तो नूना नदी के किनारे बने तटबंध कई जगह टूटे पड़े है, जिनकी मरम्मत का कोई ठोस उपाय अब तक नही हो पाया है। नूना की नई धारा नदी के बढ़े जल स्तर के बाद पानी गांवों में फैलकर आबादी एवं कृषि दोनो को बरबाद करती है। सिकटी विलायतीबाड़ी सड़क बार बार नदी के बाढ़ से खंडित होती रहती है। इस नदी के किनारे बसे सैदाबाद, दहगामा,पड़रिया, खान टोला, साहु टोला से लेकर सालगोड़ी कचना, बांसबाड़ी, औलाबाड़ी एवं छपनिया तक बाढ़ का कहर झेलती है। वहीं बकरा नदी के किनारे बसे पीरगंज, डैनिया, तीरा खारदह, पड़रिया, नेमुआ पीपरा, रामनगर, ढंगरी, बैरगाछी हर साल नदी कटान से प्रभावित होती रही है। डैनिया, तीरा, पड़रिया, नेमुआ पीपरा एवं बैरगाछी मे विगत पांच वर्षो में सैकड़ों परिवार के घर नदी मे कटकर विलीन हुए हैं। हर साल ये चलता रहता है। पड़रिया घाट पर बीस करोड़ की लागत से सड़क पर बना पुल बेकार पड़ा है। बकरा ने अपनी धारा पुल से बाहर पश्चिम की तरफ कर ली है। वहीं प्राथमिक विद्यालय पड़रिया तीरा एवं प्राथमिक विद्यालय नेमुआ टोला नदी में समा चुका है। पीरगंज पुल के पास नदी पुल के एप्रोच सड़क की ओर कटाव कर रही है। पीरगंज संथाली टोले कब के विस्थापित हो चुके है। पड़रिया में हर साल लोगों के घर नदी में कटते जा रहा हैं। नेमुआ पीपरा में भी दर्जनो परिवार विस्थापित हुए हैं। बैरगाछी में पिछले साल चार परिवार घर कट चुका है। आने वाले बरसात एवं बाढ़ के भय से ये सभी गांव के लोग सहमे हुए हैं। बैरगाछी के सामाजिक कार्यकर्ता ओवेश आलम ने बताया कि गत वर्ष ही पांच परिवार का घर कट चुका फिर इस साल भी और घर कटेंगे। जुबरैल, समशेर सहित अन्य परिवार का घट कट चुका है। बचाव के लिए कोई काम नही हुआ। प्रशासन केवल आश्वासन देकर अपने दायित्व भूल गया अब तो अल्लाह का ही भरोसा बच गया है।

बाढ़ आने पर इस इलाके की हालत टापू जैसी बन जाती है। खेती बाड़ी के साथ आमजन भी तबाह होते हैं। लेकिन बाढ़ पूर्व तैयारी केवल कागजो में ही होती है। पड़रिया कालू चौक तटबंध की थोड़ी बहुत मरम्मत तो हुई पर अन्य तटबंध की हालत जस की तस है। जिसके कारण नदी के जल स्तर बढ़ने से पानी बाहर खेतों और गांव में फैल जाता है। -खुर्शीद आलम, प्रमुख प्रतिनिधि सिकटी


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