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कोरोना के खौफ पर भारी पड़ी पेट की आग, वापस लौटे दर्जनों मजदूर

अररिया। पेट की भूख जब सताने लगे तो कोरोना जैसी महामारी छोटा दिखने लगता है। लॉकडाउन के

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 11:04 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 06:15 AM (IST)
कोरोना के खौफ पर भारी पड़ी पेट की आग, वापस लौटे दर्जनों मजदूर
कोरोना के खौफ पर भारी पड़ी पेट की आग, वापस लौटे दर्जनों मजदूर

अररिया। पेट की भूख जब सताने लगे तो कोरोना जैसी महामारी छोटा दिखने लगता है। लॉकडाउन के कारण पंजाब से घर आए मजदूरों के सामने जब परिवार के भरण-पोषण की चिता सताने लगी तो फिर जान हथेली पर लेकर रोजगार के लिए पंजाब की राह पकड़ ली। वाकया अररिया जिला के जोकीहाट प्रखंड की है। जहां सिसौना पंचायत के करियात, मटियारी पंचायत के अझुवा आदि के मजदूरों ने पंजाब के जालंधर जिले के सरदार( किसान) को सूचना दी। सरदार जी ने पंजाब से बस का परमिशन दिलाकर जोकीहाट भेज दिया। मजदूरों के घर आ जाने से पंजाब में भी धान और मक्का कटाई की समस्या हो रही थी। इस कारण एक दूसरे की जरुरत पूरा करने के लिए दोनों ओर से पहल हुई। सिसौना के करियात और मटियारी पंचायत के अझुवा, थपकोल से करीब 40 मजदूरों का जत्था मंगलवार को बस रवाना हो गया। कोरोना का भय छोड़ जान को जोखिम में डालकर पंजाब की और रवाना हो गए मजदूरों में मो. अख्तर ने बताया कि हम सभी धान काटने जा रहे हैं। सरदार हमें बुलाया है। यहां रोजगार की कमी है। दो महीने से घर में बैठकर खा रहा हूं। अब खाने के लिए कुछ नही है। परिवार का भरण पोषण कैसे होगा। जागरण ने जब मजदूरों से पूछा कि कोरोना की महामारी के बाद लोग अपने घर आने को बेताब हैं लेकिन आप लोग वापस परदेस जा रहे हैं। अख्तर, शमीम, आरिफ, रजाबुल आदि ने बताया कि पेट की आग के आगे कोरोना जैसी महामारी कुछ नहीं है। हम मजदूरों का क्या है। रोजगार के बिना भी मरना है और कोरोना से भी मरना है। अच्छा तो यह होगा कि कम से कम बीबी बच्चे की परवरिश तो होगा। मजदूरों की दास्तां जिसने भी सुनी उनके रोंगटे खड़े हो गए। कोरोना के कारण लोग अपने घर की ओर भाग रहे हैं वहीं मजदूर अपने घर छोड़कर परदेस जाने को मजबूर हैं। पेट की आग और बेरोजगारी इंसान को मौत के मुंह में डाल देता है। यह एक गांव की नही बल्कि दर्जनों गांवों के बेबस मजदूरों की कहानी है। गौरतलब है कि जोकीहाट का इलाका नदियों से घिरे होने के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है ।यहां हर वर्ष बकरा, कनकई व परमान नदी के कटान और बाढ़ से हर वर्ष सैकडों लोग बेघर हो जाते हैं। रोजगार के लिए परिवार सहित पलायन कर जाते हैं। -कोट-

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सभी श्रमिक पंजाब में रहते थे। लॉकडाउन के कारण घर आ गये। लेकिन पेट की भूख इन्हें पलायन के लिए फिर मजबूर कर दिया। यहां रोजगार की कमी के कारण परिवार के भरण पोषण के लिए सभी पंजाब जा रहे हैं। शाहनवाज आलम, विधायक, जोकीहाट।


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