बाल विवाह और दहेज प्रथा समाज का कोढ़, बने कानून
अररिया। समाज में कोढ़ का रूप ले चुके दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी बुराई का विरोध होन
अररिया। समाज में कोढ़ का रूप ले चुके दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी बुराई का विरोध होनी ही चाहिए। सरकार द्वारा इस दिशा मे उठाए गए कदम स्वागत योग्य है। दहेज प्रथा और बाल विवाह का विरोध करते हुए महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डीएनपी लिट्ल एंजल प्ले स्कूल की प्राचार्या बंदना सिहा ने कहा कि बाल विवाह एवं दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति का विरोध होना चाहिए । क्योंकि आज समाज में लोग दहेज के कारण भ्रूण हत्या कर रहे हैं। दहेज के कारण बेटियों को हर मां बाप बोझ समझते है। अगर दहेज नहीं देना पड़े तो बेटी अभिशाप नही बरदान साबित होगा। पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष तरन्नुम नाज का कहना है कि दहेज लेना और देना दोनो गलत है। ऐसे लोगो पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा दहेज और बाल विवाह समाजिक कोढ़ है। बाल विवाह के कारण लड़की और उनके बच्चे मौत की ओर चला जाता है। सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। जोगबनी नगर पंचायत की अध्यक्ष अनिता देवी ने दहेज प्रथा और बाल विवाह का पुरजोर विरोध करते हुए कड़े कानून बनाए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि दहेज सामाजिक विषमता को जन्म देता है। दहेज के कारण ही लड़कियों बोझ समझी जाती है। वार्ड पार्षद सरोज राय का कहना है कि दहेज प्रथा को तो बहुत पहले ही समाप्त हो जाना चाहिए था। लेकिन समाज मे दहेज लोभियो के कारण यह परंपरा जारी है। इस पर जब तक कठोर कानून नही होगा तब तक शपथ लेने भर से इसे नही मिटाया जा सकता है।