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अररिया की कृषि भूमि में नहीं है फोलिक एसिड -पांच साल का जायजा

-खेतों की मिट्टियों की जांच से चला पता कृषि भूमि सबसे बेहतर -मक्का की खेती का हब बन ग

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 12:22 AM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 12:22 AM (IST)
अररिया की कृषि भूमि में नहीं है फोलिक एसिड -पांच साल का जायजा
अररिया की कृषि भूमि में नहीं है फोलिक एसिड -पांच साल का जायजा

-खेतों की मिट्टियों की जांच से चला पता, कृषि भूमि सबसे बेहतर

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-मक्का की खेती का हब बन गया जिला

-एक समय कृषि से हो गया था मोहभंग

कमर आलम

-संवाद सूत्र, अररिया: जिस प्रकार इंसान को स्वस्थ्य रहने के लिए शरीर की जांच जरूरी है उसी प्रकार हमारी मिट्टी की समय -समय पर जांच जरूरी है ताकि पता चल सके कि हमारी कृषि भूमि कहीं बीमार अथवा कमजोर तो नहीं हो गई है । अगर किसान नियमित रूप से मिट्टी की जांच कराकर खेती करेंगे तो निश्चित रूप से उनका कृषि उत्पादन बढ़ेगा । चेतना किसानों में गत पांच वर्षों में उभरकर सामने आई है।

अररिया की भूमि आज सोना उगल रही है, लेकिन एक जमाना था जब यहां के लोगों का कृषि से मोहभंग हो गया था । बलुआही जमीन होने के चलते भूमि की उर्वरा शक्ति काफी कम थी । जैसे -जैसे नई- नई कृषि तकनीक का विकास हुआ खेती को लेकर किसान जागरूक हुए। आज वही भूमि फसल के रूप में सोना उगल रही है ।जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में स्थापित मिट्टी जांच केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार यहां की कृषि योग्य भूमि में फोलिक एसिड की अधिकता नहीं है। जिस कारण कृषि उत्पादन प्रभावित नही होता है । अररिया और पूर्णिया की भूमि आज राज्य की सबसे अच्छी कृषि योग्य भूमि है। यहां बंपर पैदावार होती है ।यहां की कृषि योग्य भूमि में काफी मात्रा में आज भी पोषक तत्व मौजूद है । भूमि में जिक, बोरान और सल्फर की मात्रा ठीक है । अम्लीय मिट्टी होने के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति अधिक है जबकि यहां पानी में आयरन की अधिकता जरूर है लेकिन वो फसल के लिए हानिकारक नहीं है। आज अररिया खेती के मामले में काफी बेहतर स्थिति में है ।हर प्रकार के फसल की खेती यहां आज हो रही है । विशेष कर मक्का की खेती के मामले में अररिया बिहार का सबसे उत्पादन वाला जिला बन गया है । मक्का की खेती ने किसानों की हालत ही बदल दी है। इतना ही नहीं मूंगफली, जुट, धान ,सूर्यमुखी और मखाना की खेती में अररिया काफी आगे निकल चुका है ।

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-अररिया की भूमि अन्य जिलों की तुलना में खेती की ²ष्टिकोण से काफी बेहतर है । यहां की भूमि में फोलिक एसिड के अधिकता की शिकायत नहीं है ।लेकिन भूमि की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखने के लिए रसायनिक खाद की जगह वर्मी कंपोस्ट और हरी खाद जरूरी है।

-डॉ अनिल कुमार,कृषि वैज्ञानिक अररिया।

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शुद्ध पानी, शुद्ध हवा और शुद्ध भोजन के लिए जरूरी है कि रसायनिक खाद का किसान बहिष्कार करें । आज कैंसर, मधुमेह और बांझपन की बीमारी काफी तेजी से इंही कारणों से बढ़ रहा है। मिट्टी जांच की रिपोर्ट किसानों को निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।

-डॉ. अरविद कुमार, वरीय वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र अररिया।


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