सख्ती के बावजूद नहीं हो रहा लॉकडाउन का पालन
अररिया। कोरोना वायरस को लेकर पूरे भारत में लॉकडाउन लगाया गया है। ताकि लोग इसका अनुप
अररिया। कोरोना वायरस को लेकर पूरे भारत में लॉकडाउन लगाया गया है। ताकि लोग इसका अनुपालन कर कोरोना जैसी महामारी से अपना बचाव कर सकें । कुछ लोगों ने लॉकडाउन को मजाक बना रखा है । प्रशासन से नजर बचाते हुए कुछ लोग सड़कों पर निकल आते हैं । तो वहीं कुछ लोग खाली समय में मछली पकड़ने खेतों -खलिहानों के समीप गड्ढों की ओर चल पड़ते हैं । सिकटी व कूर्साकांटा के प्रखंड क्षेत्रों में आवश्यक सामग्री की खरीददारी के लिए थोड़े समय के लिए दी जा रही ढील में लोग दुकानों पर ऐसे भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं, जैसे कल से सामान की आपूर्ति नहीं होगी । इन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता कि पूरा विश्व आज कोरोना वायरस जैसे वैश्विक महामारी की चपेट में है । यहां के लोग शारीरिक दूरी का अनुपालन करना तो दूर, इन्हें देखकर लग ही नहीं रहा कि यह समय वैश्विक महामारी का है। इस भीड़ में कब कौन किससे कोरोना वायरस का संक्रमण अपने घर ले आए, कुछ कहा नहीं जा सकता। प्रशासन द्वारा लाख कोशिशों और अपील के बाद भी लॉकडाउन के बीच जरूरी सामान खरीदने की छूट के दौरान शारीरिक दूरी निभाने का नियम टूट रहा है। शायद लोग और अधिकारी भी भूल गए हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण को दूर करने के लिए लॉकडाउन किया गया है और इस अवधि में दी गई छूट लोगों को घर भरने के लिए नहीं, बल्कि जरूरत की वस्तुओं से कोई वंचित न रहे, इसके लिए दी गई है। ऐसे में लॉकडाउन सफल होगा कि नहीं यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जिस मकसद से इसे लागू किया गया है वह अधूरा रह जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आगामी 14 अप्रैल तक संपूर्ण भारत को एक साथ लॉक डाउन किए जाने का आदेश दिया गया है जिससे लोगों के बीच सामाजिक दूरियां बनाई जा सके और कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके।इसके बावजूद भी क्षेत्र के लोगों द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु शासन व प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। बैंकों के अंदर जाते समय , सब्जियां खरीदते समय शारीरिक दूरी को नजरअंदाज किया जा रहा है । अति शीघ्र अपने आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक दूसरे से दूरी बनाकर रहने के बजाय एक साथ खड़े होकर आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी कर रहे हैं। इतना हीं नहीं बेवजह लोग चौक -चौराहा पर आठ -दस की संख्या में गप्पे मारते नजर आ रहे हैं । बच्चे मैदान में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए वॉलीबॉल व क्रिकेट खेल रहे हैं औऱ बड़े -बुजुर्ग देखकर आनंद लें रहे हैं । इनमें तो कई ऐसे जनप्रतिनिधि भी हैं , जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक नहीं कर रहे हैं । अगर इसी तरह नियमों की अनदेखी कर व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति किए जाने की यही स्थिति बनी रही और शासन -प्रशासन ने तत्काल व्यवस्था में सुधार नहीं करवाया तो वह दिन दूर नहीं जब छोटे छोटे गांवों और कस्बों के लोगों को कोरोना वायरस अपनी गिरफ्त में ले चुका होगा औऱ उस समय स्थिति इतनी भयावह हो चुकी होगी कि उस पर काबू पाना स्वास्थ्य विभाग के लिए आसान नहीं होगा। पुलिस -प्रशासन को इस पर सार्थक कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है ताकि लॉकडाउन का सख्त रूप से पालन हो सकें और भारत इस वैश्विक महामारी के जंग में अपनी कामयाबी दर्ज कराने में अहम भूमिका निभा सके ।