जीरो टिलेज से बोआई पर जोताई का खर्च उठाएगी सरकार
अररिया। कृषक-वैज्ञानिक वार्तालाप का आयोजन दैनिक जागरण व कृषि विभाग के सौजन्य से चौरी पंचाय
अररिया। कृषक-वैज्ञानिक वार्तालाप का आयोजन दैनिक जागरण व कृषि विभाग के सौजन्य से चौरी पंचायत में के महादेवकोल स्थित सामुदायिक भवन में बुधवार किया गया । इस मौके पर मुखिया संघ पलासी के अध्यक्ष बतौर मुख्य अतिथि मो, रागिब ने कहा कि जो उपजाए अन्न वह क्यों रहे विपन्न, सम-सामयिक विषय है। इस मौके पर किसानों से सुझाव प्राप्त किया जाएगा। सभी मौजूद, किसान जागरण के सर्वे फार्म में ईमानदारी से सही स्थिति की जानकारी देंगे। इससे पहले उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा पर किसानों के लिए किए जा रहे काम पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। जहां न पहुंचे रवि, वहां वहां कृषि विभाग के वैज्ञानिक पहुंचकर जानकारी दे रहे हैं। लेकिन आज की कार्यशाला में केवल प्रगतिशील किसान, बैंक अधिकारी शशिशेखर, कृषि विभाग के किसान सलाहकार मिथिलेश कुमरा ही मौजूद हैं। सभी लोगों ने अपने विचारों को रखा। कृषि विभाग द्वारा जीरो टिलेज से बुआई करने पर जोताई का खर्च सरकार द्वारा उठाने की जानकारी दी गई। यह अभूतपूर्व पहल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो रजिस्ट्रेशन कराएंगे। इस योजना की दूसरी शर्त है कि जीरो टिलेज से बोआई में शत-प्रतिशत अनुदान वहीं दिया जाएगा जहां कलस्तर(कम से कम आठ-10 हेक्टेयर) में किसान इस विधि को अपनाने को तैयार होंगे। इससे पहले उन्होंने कहा कि
किसानों की स्थिति में सुधार किए बिना देश का विकास संभव नहीं है। 75 से 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। वहीं, अररिया जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। यहां के किसान जानकारी के अभाव में आज भी पुराने ढर्रे पर ही खेती करते हैं। जिससे लागत अधिक लग जाती है और उपज कम होती है। साथ ही फसलों का कृषकों को उचित मूल्य भी नहीं मिल रहा है। उक्त बातें प्रखंड मुखिया संघ अध्यक्ष मो.रागीब उर्फ बबलू ने दैनिक जागरण व कृषि विभाग के सौजन्य से पलासी प्रखंड के चौरी पंचायत के सामुदायिक भवन महादेवकोल में किसानों के लिए आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पैक्स के माध्यम से धान का समर्थन मूल्य तय कर खरीदारी की बात कही जाती है, किन्तु धरातल की सच्चाई यह है कि अब तक पैक्सों के माध्यम से किसानों के धान की खरीदारी नहीं आरंभ की गई है। जिससे किसानों को मजबूरी में औने - पौने दामों में अपने धान को बेचना पड़ रहा है। इसलिए किसानों की स्थिति दिनों - दिन बदतर होती जा रही है। किसानों की स्थिति में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक के माध्यम से खेती की जानकारी देकर तथा कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर ही किसानों की दशा बदली जा सकती है। इससे पहले सेंट्रल बैंक के मैनज शशीशेखर ने कहा कि जो किसान पूर्व के ऋण के जमा कर देंगे, उन्हें फिर ऋण दिया जाएगा। वहीं, किसान सलाहकार ने मिथिलेश कुमार ने कहा कि जीरो टिलेज से बोआई का खर्च सरकार उठाएगी। इसके लिए किसानों को पंजीकरण कराना होगा। इसमें केवल शर्त है कि नौ-दस हेक्टेयर भूमि सामुदायिक रुप से किसानों की उपलब्ध हो। इससे पहले किसान निर्मला देवी, सुगम लाल मंडल,.बालेश्वर मंडल, बिजली देवी, रंजो देवी, मो. नयर आलम, बलराम पंडित आदि ने अपनी समस्याएं रखी और कहा कि प्रखंड मुख्यालय बीएओ कब रहेंगे, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। पैक्स से धान की खरीदारी की घोषणा समाचार पत्रों में प्रकाशित हो जाती है लेकिन मौके पर पैक्स गोदाम बंद मिलती है, इसमे सुधार होना चाहिए। ब्रॉडेड कंपनियों के उत्पाद के नाम पर नकली उत्पाद किसानों को उपलब्ध कराने का धंधा बंद होना चाहिए। अन्य किसानों ने भी सरकार द्वार घोषित योजनाओं के जमीन पर उतारने पर भारी असंतोष व्यक्त किया। वहीं शुभारंभ में मोमबत्ती जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के अलावा बैंक अधिकारी, स्थानीय मुखिया व किसानों ने संयुक्त रुप से किया।