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वर्ग तीन से पांच के कमजोर बच्चों को दी जा रही उपचारात्मक शिक्षा

अररिया। बिहार सरकार ने अब कमजोर बच्चों को शिक्षित करने के साथ- साथ उनकी माता को भी ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 12:34 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 12:34 AM (IST)
वर्ग तीन से पांच के कमजोर बच्चों को दी जा रही उपचारात्मक शिक्षा
वर्ग तीन से पांच के कमजोर बच्चों को दी जा रही उपचारात्मक शिक्षा

अररिया। बिहार सरकार ने अब कमजोर बच्चों को शिक्षित करने के साथ- साथ उनकी माता को भी विशेष अभियान चलाकर साक्षर ही नहीं बल्कि उन्हें स्वयं सहायता समूह से जोड़कर आर्थिक रूप से सबल करने की योजना पर काम शुरू हो गया। फारबिसगंज मोहनपुर ग्राम पंचायत में बतौर अभ्यास माताओं और बच्चों को कोई बच्चा छूटे नहीं, माता भी पीछे नहीं, विशेष कार्यक्रम से जोड़ा गया है। इस योजना की जिम्मेदारी टोल सेवक और तालीमी मरकज के साथ जीविका दीदी को दी गई है। जानकारी के मुताबिक टोला सेवक दुलारचंद ऋषिदेव और मुख्य स्त्रोत व्यक्ति कमर मासूम के द्वारा महादलित टोला मानिकपुर में अभ्यास वर्ग का संचालन किया जा रहा है । जिसमें जन शिक्षा निदेशालय और प्रथम संस्था द्वार तकनीकी सहयोग दिया जा रहा। प्रथम के डीआरजी, बीआरपी, साक्षरता के एसआरजी, केआरपी और सभी शिक्षा सेवक इस अभियान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । अपने ही मुहल्ले में पढ़ेंगे कमजोर बच्चे एक केंद्र पर 30 बच्चे को पढ़ाने की योजना है। फारबिसगंज के आरटी मोहन पंचायत की जीविका की सीएम डोली कुमारी के ने बताया कि बिहार में विकास से दूर अंतिम पंक्ति में रहने रहने वाले महादलित, दलित और अति पिछड़ा अल्पसंख्यक समुदाय के लिए अक्षर अंचल योजना पूर्व से चला रही है। इसी योजना के तहत वैसे बच्चे जो वर्ग तीन से पांच में नामांकित हैं और पढ़ने में कमजोर है तो उन्हें मुहल्ला में ही केंद्र संचालित कर उपचारात्मक शिक्षा दी जा रही है । साथ ही टोले के सभी बच्चे स्कूल में नामांकित हो, इसके लिए भी प्रयास किया जा रहा है, ताकि महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। को¨चग सेंटर में पढ़ रहे बच्चों की माताओं का समूह भी बनाया गया है जिनमे निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने के साथ आर्थिक गतिविधियों से भी जोड़ने की मुहिम चलाई जा रही है। कोट साक्षरता और जीविका दीदी को इस योजना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। सैंतीसवें स्थान से 14वें स्थान पर अररिया पहुंच गया है। इसका श्रेय जीविका दीदी. तालीमा मरकज और टोला सेवकों को जाता है। मुहल्ले में ही कमजोर बच्चों की को¨चग एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना की सफलता से कमजोर बच्चे भी स्कूल की मुख्य धारा से जुड़ जाएंगे। -- सुभाष गुप्ता, डीपीओ, साक्षरता, अररिया।

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