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जोर पकड़ती जा रही मुआवजा देने की मांग

अररिया : सालभर से कृषि व आबादी की भूमि के मुआवजे के मार्ग निर्देशन के अभाव में इंडो-नेपाल

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 12:17 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 12:17 AM (IST)
जोर पकड़ती जा रही 
मुआवजा देने की मांग
जोर पकड़ती जा रही मुआवजा देने की मांग

अररिया : सालभर से कृषि व आबादी की भूमि के मुआवजे के मार्ग निर्देशन के अभाव में इंडो-नेपाल बार्डर रोड और एनएच 57ए का फारबिसगंज-जोगबनी में निर्माण कार्य ठप था। इस मामले में सरकार ने निर्णय लेते हुए आबादी की भूमि की नई परिभाषा सुनिश्चित कर दी। अब रजिस्ट्री विभाग जिस भूमि को आबादी मानती है, वह अमान्य होगा। नई परिभाषा में जितनी भूमि पर घर बना है, उतनी भूमि को आबादी की दर से मुआवजा भुगतान भू-अर्जन विभाग करेगा। इससे पहले घर से 200 मीटर की दूरी तक भूमि को आबादी मानकर राशि का भुगतान किया जाता था। कृषि भूमि पर जिन्हें आबादी की दर से भुगतान हो चुका है। विभाग उनसे राशि वापस करने के लिए नोटिस भेज रहा है।

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जानकारी के मुताबिक, 2012-13 से निर्माणाधीन इंडो-नेपाल बार्डर रोड का कार्य अररिया जिले में तेज गति से चल रहा था। पथ निर्माण प्रमंडल, अररिया 2016 तक बार्डर रोड के निर्माण में राज्य में सबसे आगे था लेकिन 2017 में सबसे पीछे हो गया। सूत्र बताते हैं कि अररिया जिले में नरपतगंज, सिकटी और किशनगंज जिले में टेढ़ागाछ प्रखंड की रैयत बिना मुआवजा के ही इंडो-नेपाल सड़क का निर्माण होने दी। अचानक 2016 के अंतिम तिमाही में आबादी से से 200 मीटर के अंदर स्थित कृषि भूमि पर आबादी की दर से मुआवजे की मांग जोर पकड़ने लगी और 2017 में सड़क निर्माण कार्य लगभग 50 से अधिक स्थानों पर रैयत द्वारा रोक दिया गया जो अक्टूबर 2018 तक यथावत है। ---------कोट------------ बिहार सरकार ने आबादी की भूमि को परिभाषित कर दिया है। घर और घर की भूमि का मुआवजा आबादी के दर से किया जाएगा, जो भूमि खाली है, उसका भुगतान कृषि भूमि की दर किया जाएगा। जिन लोगों की कृषि की भूमि पर आबादी की दर से भुगतान कर दिया गया है, उनसे शेष राशि वसूलने के लिए भू-अर्जन विभाग नोटिस भेजा जा रहा है। रुपये वसूली की नोटिस मामले में लगभग 100 लोग पहले से हाईकोर्ट में वाद दायर कर रखें हैं। -मुकेश कुमार मुकुल, डीएलओ, भू-अर्जन विभाग, अररिया। -------कोट-------- -भारत सरकार के गृह मंत्रालय के निदेशक मान ¨सह ने गुरुवार को पथ निर्माण प्रमंडल अररिया के कार्यपालक अभियंता घनश्याम मंडल के साथ इंडो-नेपाल रोड का निरीक्षण किए हैं। निदेशक से आरसीडी के चैती कैंप में बातचीत हुई है। केंद्र सरकार दिसंबर 2019 तक इंडो-नेपाल सरकार को पूर्ण करने की सहमति दे दी है। इधर ,राज्य सरकार ने आबादी और कृषि विभाग की परिभाषा भी स्पष्ट कर दी है। कागजात जाम करते ही भू-अर्जन कार्यालय बाजार दर से चार गुना अधिक की राशि बतौर मुआवजा रैयत को भुगतान करेगा। सड़क निर्माण कार्य को रोकना विकास को बाधित करना है। --विजय कुमार मंडल, विधायक, सिकटी, अररिया


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