शिक्षा का अधिकार कानून संविधान का सबसे बड़ा संशोधन
अररिया। भारत के हर 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चे को निश्शुल्क शिक्षा पाने का अधिकार एक अप्रैल 20
अररिया। भारत के हर 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चे को निश्शुल्क शिक्षा पाने का अधिकार एक अप्रैल 2010 से देश भर में लागू किया गया। हालांकि ये अधिनियम 2009 में बनाया गया था। कानून हर बच्चे को निश्शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अवसर औऱ अधिकार देता है। हमें इस अधिकार को जानना होगा। यह जानकारी अभिभावकों को साक्षर बनाते हुए रामपरी कर रही हैं। वहीं अभिभावकों ने बताया कि रामपरी की मुहिम है कि शिक्षा का अधिकार देश का कायाकल्प कर देगा। इस अधिकार का ज्ञान होते ही सारे पब्लिक स्कूल बंद हो जाएंगे। कितने बच्चों पर एक शिक्षक होंगे? कितने घंटे स्कूल में पढ़ाई होनी अनिवार्य है। यह अधिकार बच्चों को सरकार ने दी है लेकिन अधिकार के ज्ञान के अभाव सब जैसे-तैसे चल रहा है।
जानकारी के अभाव में बच्चों को वैसी शिक्षा नहीं मिल रही जैसी संवैधानिक व्यवस्था संविधान में की गई है। फिलहाल अररिया आरएस वार्ड पांच की निवासी रामपरी देवी उत्क्रमित मध्य विद्यालय जयप्रकाश नगर में शिक्षिका हैं, उन्होंने अपने दूरदर्शी सोच, लगन और कठिन मेहनत सें शिक्षा के माध्यम से समाज में जो बदलाव लाया है, वो अपने -आप में एक मिसाल है। इससे पहले 1989 में वे शिक्षिका बनीं और अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की। समाज को शिक्षित करने बीड़ा उन्होंने उठाते हुए रात्रिकालीन पाठशाला शुरू की। जिसमें शिक्षा का अधिकार की भी जानकारी वे अभिभावकों को देना नहीं भूलती। इनका पूरा समय समाज को नई दिशा देने में ही बीत रहा है। यू तो रामपरी देवी के नाम ढेर सारे पुरस्कार हैं। उनमें मुख्य पुरस्कार मौलाना अबुल कलाम आजाद पुरस्कार है जो मुख्यमंत्री के हाथों उन्हें प्रदान किया गया है। रामपरी देवी का कहना है कि जीवनपर्यंत शिक्षा के जरिए समाज को नई दिशा देने का काम उनका जारी रहेगा। जिस दिन अभिभावक शिक्षा का अधिकार कानून के जानकार हो जाएंगे, उसी दिन देश का भविष्य संवर जाएगा। आजादी की लौ घर-घर जलने लगेगी।